भोपाल. मोटी कमाई की आस में मध्य प्रदेश में लागू की गई नई रेत नीति उलटा घाटे का सौदा बन गई है. अब तक राज्य सरकार को 250 करोड़ रुपए से ज्यादा का घाटा हो गया है. यही नहीं, रेत का अवैध खनन भी बढ़ गया है.
पहली बार ऐसे हालात बने है कि रेत खदानों वाले 41 जिलों में से 19 जिलों में वैध खदानें ठेकेदारों ने छोड़ दी है. यह सभी कोर्ट चले गए हैं. लिहाजा, इन खदानों से अवैध रेत खनन हो रहा है. सरकार इसे रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है. जबकि, वर्तमान में अधिकृत रूप से केवल 23 जिलों में रेत का वैध उत्खनन हो पा रहा है.
तत्कालीन कांग्रेस सरकार वर्ष 2019 में नई रेत नीति लाई थी. इसके तहत हुए 41 जिलों में 1200 करोड़ रुपए में रेत के ठेके हुए थे. बाद में स्थिति उलटी पड़ गई. कोरोना काल के चलते 40 फीसदी ठेकेदार भाग गए. हालांकि कांग्रेस का आरोप है कि ठेकेदारों को दवाब डालकर भगा दिया गया. अब इनमें से कई जगह भाजपा नेता अवैध रेत उत्खनन कर रहे हैं. हालांकि, खनिज विभाग का दावा है कि अब ऐसे जिलों में नए सिरे से टेंडर करवाए जा रहे हैं.
ठेकेदारों ने जब ठेके छोड़े तो राज्य शासन ने रेत नीति में कुछ संशोधन किए थे. इसके बाद फिर से टेंडर भी जारी किए गए, लेकिन ठेकेदारों ने रूचि नहीं दिखाई. वहीं, हाईकोर्ट के निर्देश पर जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट डीसीआर निरस्त होने से खदानें बंद पड़ी है. अब यहां फिर से टेंडर बुलाना पड़ेंगे. प्रदेश में होशंगाबाद, रायसेन, पन्ना, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, भिंड, छतरपुर, धार, राजगढ़, जबलपुर, दमोह, शिवपुरी, बड़वानी, अलीराजपुर, आगर-मालवा, टीकमगढ़, खरगौन में रेत खदानें नई सिरे से होना बाकी है.
35 हजार रुपए तक मिल रही है एक डंपर रेत
लगभग प्रदेश के 40 फीसदी खदाने वाले जिलों में रेत खदान बंद होने से महंगी होने लगी है. रॉयल्टी के हिसाब से 17 हजार रुपए में एक डंपर पड़ जाता है. लेकिन बाजार में एक डंपर रेत लगभग 31 हजार से 35 हजार रुपए तक पहुंच चुकी है. रेत के सप्लायर डीजल और दूरी को जोड़कर दाम कम-ज्यादा कर रहे हैं.
भोपाल
अजब-गजब रेत नीति 19 जिलों में रेत खदानें बंद ... सरकार को 250 करोड़ रुपए का फटका
- 05 May 2022