गुना। गुना जिला इन दिनों अधिकारियों की कमी से जूझ रहा है। हालात यह हैं कि दो एसडीएम के भरोसे चार अनुविभाग हैं। वहीं 5 तहसीलें प्रभारी तहसीलदार के भरोसे चल रही हैं। जिला अधिकारियों की भी कमी है। दो जॉइंट कलेक्टर कई सारे विभाग संभाल रहे हैं। कलेक्टर ने इस संबंध में सचिवालय को पत्र भी लिखा है। अधिकारियों की कमी के कारण आमजन के कई काम पिछड़ते जा रहे हैं। वहीं शासकीय योजनाओं को लागू करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
कलेक्टर कार्यालय की बात करें तो यहां अभी राज्य प्रशासनिक सेवा के केवल दो ही अधिकारी हैं। दोनों ही जॉइंट कलेक्टर हैं। जॉइंट कलेक्टर आरबी सिंडोस्कर और सोनम जैन ही कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ हैं। ये दोनों कई विभागों का प्रभार संभाल रहे हैं। जबकि कलेक्टर कार्यालय में न्यूनतम 5 डिप्टी कलेक्टर की आवश्यकता है। इतने अधिकारी होंगे, तभी विभागों का सही बंटवारा और संचालन हो पायेगा। वहीं अन्य विभाग भी प्रभारियों के भरोसे ही चल रहे हैं।
जिले में चार अनुविभाग हैं। इनमे गुना, आरोन, चांचौड़ा और राघोगढ़ शामिल हैं। इस समय दो एसडीएम ये चारों अनुविभाग देख रहे हैं। वीरेंद्र सिंह गुना अनुविभाग के एसडीएम हैं। वहां उन्हें चांचौड़ा का अतिरिक्त प्रभार दे रखा है। गुना अनुविभाग काफी बड़ा होने से उन्हें एक दिन बमोरी में भी बैठना पड़ता है। वहीं दो दिन चांचौड़ा में देने पड़ते हैं। ऐसे में दोनों अनुविभाग का काम पिछड़ रहा है। इसी तरह अक्षय तेम्रवाल राघोगढ़ के एसडीएसम हैं। उन्हें आरोन का अतिरिक्त प्रभार दिया हुआ है। वह भी कुछ दिन राघोगढ़ में बैठते हैं और कुछ दिन आरोन में। ऐसे में दोनों जगह के काम सही समय पर नहीं हो पाते।
प्रभारी तहसीलदारों के भरोसे तहसील
जिले में 8 तहसील हैं। इनमें गुना, गुना ग्रामीण, आरोन, बमोरी, राघोगढ़, चांचौड़ा, मधुसूदनगढ़, कुंभराज शामिल हैं। इस समय केवल आरोन, गुना ग्रामीण और कुंभराज में तहसीलदार हैं। बाकी सभी जगह नायब तहसीलदार ही प्रभार संभाल रहे हैं। बड़ी तहसीलों का प्रभारभी नायब तहसीलदारों के पास ही है। इसके अलावा तहसीलों के अलग-अलग सर्किल भी नायब तहसीलदार ही देख रहे हैं।
विकास कार्यों की रफ्तार पड़ी धीमी
जिले में पर्याप्त संख्या में अधिकारियों की पोस्टिंग न होने से विकास कार्यों की गति धीमी पड़ गयी है। वहीं आमजन की समस्याओं का निराकरण भी समय पर नहीं हो पा रहा है। इस समय मुख्यमंत्री जनसेवा अभियान भी चल रहा है। अधिकारियों की कमी और पर्याप्त मात्रा में अमला न होने के कारण इन शिविरों की सफलता पर भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। जो अधिकारी-कर्मचारी हैं, उन्हें ही हर जगह लगाना पड़ता है। इन अभियानों के अलावा रूटीन के काम पहले से हैं हैं। वहीं जिला मुख्यालय पर कानून व्यवस्था बनाये रखना, अलग-अलग त्योहारों पर व्यवस्थाएं, मंत्रियों/सांसदों के आगमन के समय की व्यवस्थाएं बनाना, वह सब भी करना ही पड़ता है। उन्ही अधिकारियों-कर्मचारियों को इन सभी कार्यों में लगाना पड़ता है। इस कारण कई काम पिछड़ते जा रहे हैं।
गुना
अधिकारियों की कमी से जूझता गुना जिला; दो एसडीएम के भरोसे चार अनुविभाग
- 07 Oct 2022