भोपाल। बच्चों की अपराधिक गतिविधियों में लिप्तता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। भोपाल में जनवरी से अक्टूबर तक 418 बच्चों को पुलिस ने विभिन्न अपराधों के तहत पकड़ा गया है। इसमें से 40 बच्चे गंभीर अपराध में बाल संप्रेक्षण गृह में हैं। इनमें 24 लड़कियां शामिल हैं। सबसे ज्यादा 210 बच्चे मारपीट के प्रकरण में पकड़े गए।
भोपाल में नवरात्रि के दौरान अशोका गार्डन में हुए एक मर्डर में शामिल नाबलिग ने हत्या का पूरा मामला अपने ऊपर ले लिया। जेजे बोर्ड की जज प्रीति साल्वे ने जब उसकी काउंसलिंग की तो उसे बताया कि कानून में बदलाव हो गया है, अब बच्चों को गंभीर अपराधों में छोड़ा नहीं जाता। बच्चे ने जज को बताया कि मुझे तो बताया गया था कि अपराध अपने ऊपर ले लो, तुम नाबालिग हो जल्द छूट जाओगे, जेल नहीं होगी। लेकिन उसकी काउंसलिंग की गई तो उसने अपने सभी साथियों के नाम बता दिए। काउंसलिंग टीम ने जब संबंधित लोगों की जानकारी ली तो पता चला सभी आदतन अपराधी है। उन्हें जिला बदर भी किया गया है। बच्चे को रुपयों और डॉन बनाने का लालच देकर शामिल किया।
इन अपराधों में भी बच्चे शामिल हैं
11 मामले हत्या के प्रयास के और 76 छेड़छाड़ के दर्ज
04 मामले अपहरण के इनमें बच्चे भी शामिल
मोबाइल और टीवी के बढ़ते उपयोग और परिवार की उपेक्षा के चलते बच्चे अपराधों में हो रहे शामिल।
अब यह है प्रावधान
विधि विशेषज्ञ आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण अधिनियम में 15 जनवरी 2016 में बदलाव हुआ है। कोई भी किशोर गंभीर अपराध करता है तो उसके लिए कमेटी का गठन होगा। इसमें जांच होगी कि अपराध करते समय उसकी मानसिक स्थिति सही थी या नहीं, यानी अपराध को पूरे होश में किया या नहीं। इसके बाद कमेटी रिपोर्ट किशोर न्याय बोर्ड में जमा करती है। बोर्ड जांच कर मामले को रेगुलर कोर्ट में भेज सकती है। इससे अपचारी के बालिग होने के बाद आजीवन कैद तक हो सकती है।
पहले यह प्रावधान था
पहले कोई भी मामला होता था वह किशोर न्याय बोर्ड से ही चलता था और वहीं पर निराकृत होता था। 18 साल से छोटे विधि विरोधी बच्चों को बाल सुधार गृह में रखा जाता था। उसके बाद उसे छोड़ दिया जाता था। ऐसे विधि विरोधी बच्चों की फाइल को सात साल तक ही संभाल कर रखा जाता था। उसे बाद उसके प्रकरण की फाइल और डाटा को हटा दिया जाता था।
अब तक 17 बच्चों का पुनर्वास किया गया
महिला एवं बाल विकास स्वयं सेवी संस्था के मध्यम से विधि विरोधी बच्चों को अपराध के दलदल से निकलाने के लिए काउंसलिंग करा रहा है। बच्चे आदतन अपराधी न बने इसलिए उनका पुनर्वास भी कर रहा है। अब तक 17 बच्चों का पुनर्वास किया गया। उनका फॉलोअप लिया जा रहा है।
-डॉ. विशाल नाडकर्णी, संयुक्त संचालक महिला एवं बाल विकास
DGR विशेष
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- 20 Nov 2021