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इंदौर

अब जीत-हार को लेकर मंथन जारी

  • 09 Jul 2022

भाजपा -कांग्रेस के नेता कर रहे हैं अपनी-अपनी जीत का दावा
इंदौर। नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण के मतदान होने के बाद जीत-हार को लेकर मंथन होने लगा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों के पुराने नेता मतदान केंद्रों की सूचियाँ लेकर प्रत्याशियों के संरक्षकों को जीत की दिलासा दिखाते नजर आए। दोनों ही दल अपने महापौर समर्थकों को बताते रहे कि किस गणित से जीत होगी। परिणाम 17 जुलाई को आएगा, तभी महापौर और पार्षदों के चयन से तस्वीर साफ होगी।
दरअसल शहर में करीब 60 फीसदी मतदान हुआ हैै। इस आधार पर भाजपा-कांग्रेस के दावे सामने आए हैं। हालांकि, जनता का फैसला ईवीएम में कैद है और 17 जुलाई को जब मतगणना होगी तो जनमत सामने होगा। शहर सरकार के लिए 6 जुलाई को मतदान हुआ। यहां महापौर पद पर 19 प्रत्याशी खड़े हुए है। बीजेपी कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी के साथ निर्दलीय भी उम्मीदवार है। मगर मुख्य लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस की उम्मीदवारों संजय शुक्ला और पुष्यमित्र भार्गव के बीच ही है। यहां 85 वार्डो में वार्ड पार्षद के पद के लिए करीब 341 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है। जिसमें बीजेपी-कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के साथ ही कई निर्दलीय प्रत्याशी भी मैदान उतरे है। मतदान होने के बाद भाजपा और कांग्रेस में मतदान प्रतिशत के आधार पर मंथन शुरू हो गया है।
भाजपा ने कहा- पिछले रिकार्ड टूटेंगे, कांग्रेस बोली- इस बार चौंकाएंगे परिणाम
मतदान समाप्त होने के बाद दोनों प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस को भरोसा है कि इस बार जनता उनके साथ है। भाजपा नेताओं का कहना है कि 20 साल से इंदौर में भाजपा परिषद रही है। इस बार भी ऐसा ही होगा और भाजपा का गढ़ इंदौर में कायम रहेगा, तो कांग्रेस नेताओं का कहना है कि जनता ने इस बार बदलाव को चुना है और भाजपा के लिए इस बार परिणाम चौंकाने वाले होंगे। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि शहरवासियों ने इंदौर को बदलते हुए देखा है। भाजपा परिषद और जनता ने मिलकर यह बदलाव किया है, इसलिए मुझे नहीं लगता कि भाजपा के लिए इस बार विपरीत परिणाम होंगे, बल्कि भाजपा की जीत का रिकार्ड टूटेगा। भाजपा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे ने कहा कि भाजपा के महापौर प्रत्याशी और पार्षद प्रत्याशी अच्छे मतों से जीतेंगे। मतदाताओं ने 20 साल वर्षों तक शहर में वोट देकर भाजपा की परिषद बनाई है। विश्वास की यह परंपरा इस बार भी कायम रहेगी।
वहीं कांग्रेस को अपनी जीत का भरोसा है। शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के अनुसार इस बार जनता हमारे साथ है। संजय शुक्ला एक से डेढ़ लाख मतों से जीतेंगे और इसका फायदा पार्षद प्रत्याशियों को भी मिलेगा। शहर में मतदान के दिन जिन दो क्षेत्रों में बड़े विवाद हुए, वहां के नेता भी बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं। प्रदेश सचिव राजेश चौकसे के अनुसार ब्रांड संजय शुक्ला का हमें फायदा मिल रहा है। जनता बदलाव चाहती है। शुक्ला एक लाख से ज्यादा मतों से जीतेंगे और 40 से ज्यादा पार्षद भी जीत रहे हैं। इस बार परिणाम चौंकाने वाले आएंगे। विधानसभा क्षेत्र चार के वरिष्ठ नेता सुरजीत चड्ढा के अनुसार इस बार भाजपा के परंपरागत मतदाताओं ने भी संजय शुक्ला के पक्ष में मतदान किया है। हम एक से डेढ़ लाख मतों से जीत को लेकर आश्वस्त हैं। हमारे 40 से ज्यादा पार्षद भी जीत रहे हैं।
कम वोटिंग को लेकर विधायक विजयवर्गीय  ने इलेक्शन कमीशन को लिखा पत्र
शहर में इस बार कम हुई वोटिंग को लेकर भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय ने तीखे तेवर अपनाते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कम हुई वोटिंग को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। विजयवर्गीय ने लिखा कि विधानसभा 3 सहित शहर के विभिन्न वार्डों के चुनाव में त्रुटिपूर्ण मतदाता सूची, मतदाता पर्चियों का मतदाता तक नहीं पहुंचना, मतदाता सूची में नाम नहीं आना तथा एक ही परिवार के सदस्यों के नाम अलग-अलग मतदान केंद्रों में होने से मतदाता को काफी असुविधा हुई। इसके चलते हजारों मतदाता मतदान के अधिकार से वंचित रह गए। विजयवर्गीय ने लिखा कि इसकी गंभीरता से जांच की जाना चाहिए। गौरतलब है मतदान के दिन कई वार्डों के लोगों ने शिकायतें की थी कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है।
28 वार्डों में  मतदान आंकड़ा 60 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचा
6 जुलाई का दिन शहर के मतदाताओं के लिए अच्छा था। इस दिन न तो बारिश हुई , न कोई त्यौहार था, प्रशासन की तरफ से छुट्टी घोषित थी और मौसम साफ होने के साथ पोलिंग बूथों पर भी लम्बी कतारे नहीं थी। पूरा दिन मतदाताओं के पक्ष होने के बाद भी मतदाताओं ने वोट डालने में कंजूसी दिखाई। जिला निर्वाचन कार्यालय ने 85 वार्डों का मतदान प्रतिशत जारी किया है उसके मुताबिक शहर के 28 वार्ड ऐसे है जहां मतदान का आंकड़ा 60 प्रतिशत तक भी नहीं पहुंचा पाया। जबकि शहर के सभी 85 वार्ड में से एक वार्ड भी ऐसा नहीं निकला जहां मतदान का प्रतिशत 70 या इससे अधिक हुआ हो। वार्ड क्रमांक 32 और 48 में तो कमाल ही हो गया। इन दोनों वार्डों के मतदाताओं ने वोट डालने में  ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। वार्ड 32 में 15 हजार वोटरों में से 8788 तथा वार्ड क्रमांक 48 में 16 हजार वोटरो में से  9 हजार मतदाताओं ने ही वोटिंग की। ऐसे अनेकों वार्ड है जहां पर अपेक्षा से कम वोटिंग हुई है। नगर सत्ता के लिए मतदान का रंग पिछले चुनाव की तुलना में कुछ फीका रहा। जिन वार्डों में कम मतदान हुआ है उसको लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं को  चिंता में डाल दिया है। आंकड़ों के लिहाज से प्रत्याशी और समर्थक हार-जीत का हिसाब करने में जुट गए।
 60 प्रतिशत से कम मतदान वाले वार्ड  
वार्ड क्रमांक  
9,14,16,19,25,27,28,29,30,31,32,34,35,37,39,40,42,43,47,48,50,54,55,57,59,65,74, तथा वार्ड 79 शामिल है।