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इंदौर

अब शहर में महिलाएं चलाएगी पिंक सिटी बसें

  • 26 Aug 2021

प्रशिक्षण का दौर जारी, सितंबर से संभाल लेंगी बसों की कमान
इंदौर। अब जल्द ही इंदौर की सड़कों पर महिला ड्राइवर पिंक बस चलाते हुए दिखाई देंगी। इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। महिला सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एआईसीटीएसएल द्वारा महिलाओं को क-इवर चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शहर में तड़के सुबह 3:00 से 5:00 के बीच महिलाएं इफळर कॉरिडोर में बस दौड़ती दिखाई दे रही हैं लेकिन यह बसें सिर्फ ट्रेनिंग के लिए चल रही है और अब जल्द शहर की पिंक आई बसों को महिला ड्राइवरों के हाथ में सौंप दिया जाएगा।
शहर में महिलाओं को सुरक्षित और आरामदायक सफर देने के लिए फरवरी 2020 से दो पिंक बसों की शुरूआत की गई थी, लेकिन वर्तमान समय में अभी इन बसों को पुरुष ड्राइवर चला रहे हैं। प्रबंधन महिला बस ड्राइवर्स की तलाश कर रहा था। इसके लिए विज्ञापन भी निकाला गया था। इसे देख दो महिला ड्राइवर्स अधिकारियों से मिलने पहुंचीं। दोनों का हुनर देखकर प्रबंधन ने उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी है।
एआईसीटीएसएल माला ठाकुर बताती हैं कि पिंक बसों को चलाने का उद्देश्य ही महिलाओं को सुरक्षित सफर देना है, लंबे समय से पिंक आई बस चलाने के लिए महिला ड्राइवर की खोज की जा रही थी। कुछ समय पहले कई महिलाओं के आवेदन आए थे लेकिन उनके पास (ऌटश्) हेवी मोटर व्हीकल लाइसेंस नहीं था। इस वजह से उन्हें नगर निगम की एक अन्य योजना में ई-रिक्शा के तौर पर गाड़ियां प्रदान कराई गई हैं। वर्तमान समय में शहर में 100 ए रिक्शा महिला चालक हैं जो कि इससे अपना घर चला रही हैं। ट्रेनिंग ले रही महिला बस ड्राइवर रितु नरवाले ने बताया कि घर में माता-पिता और भाई-भाभी हैं। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। पिता इलेक्ट्रीशियन हैं और मां निगम में सफाईकर्मी। घर चलाने में दिक्कत होने पर काम करने का सोचा और 2015 में एक एनजीओ के माध्यम से वाहन चलाने की ट्रेनिंग ली।
3 से 5 बजे के बीच बीआरटीएस कॉरिडोर पर ट्रेनिंग
दोनों महिला बस ड्राइवर्स को सुबह 3 से 5 बजे के बीच बीआरटीएस कॉरिडोर पर ट्रेनिंग दी जा रही है। यह समय इसलिए चुना गया, क्योंकि सुबह 5 के बाद कॉरिडोर में साइकिलिस्ट साइकिल चलाने लगते हैं। इसके लिए ट्रेनर और महिला ड्राइवर्स देर रात ही निरंजनपुर स्थित बस डिपो पहुंच जाती हैं। यह ट्रेनिंग पिछले 20 दिनों से चल रही है। ट्रेनिंग में महिलाओं को बसों को कॉरिडोर पर चलाने के साथ ही खासतौर पर बस स्टॉप पर डोर के पास बसें लगाना सिखाया जा रहा है, क्योंकि ऐसा करने पर ही दरवाजा खुलता है।