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इंदौर

अवैध वसूली के खिलाफ लामबंद हुए सिएमा, डीजे एसोसिएशन और अन्य संगठन भी एक मंच पर आए

  • 06 Jan 2024

इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  वेड इन इंडिया मूमेंट का सपना देख रहे हैं लेकिन म्यूजिक लाइसेंस के नाम पर अवैध वसूली करने वाले इस योजना को बनने से पहले ही फेल कर रहे हैं। म्यूजिक कॉपीराइट एक्ट के नाम पर की जाने वाली वसूली के खिलाफ प्रदेश ही नहीं देश भर के इवेंट आॅगेर्नाइजर्स, एसोसिएशन और विभिन्न संगठन एक मंच पर आ चुके हैं।
हाल ही में कम्बाइंड इनिशिएटिव फॉर इवेंट मैनेजर्स वेलफेयर एसोसिएशन (सिएमा)के सदस्यों ने इस धांधली के खिलाफ एकजुट होकर यह आवाज उठाई की म्यूजिक लाइसेंस फोनोग्राफिक परफॉर्मेंस लिमिटेड (पीपीएल), इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी  (आईपीआरएस ) और नोवेक्स द्वारा शादी , पार्टी में म्यूजिक चलाये जाने पर अवैध वसूली  की जा रही है। अवैध लाइसेंस फीस वसूलने के लिए इवेंट आयोजकों, गार्डन, रेस्टोरेंट और होटल संचालकों को डराया, धमकाया जा रहा है। जबकि यह कानून शादी, समारोह और सोशल इवेंट्स पर लागू ही नहीं होता।
सिएमा के अध्यक्ष निमेष पितलिया ने बताया कि शादी-ब्याह व अन्य समारोहों में बजने वाले गाने कॉपीराइट का उल्लंघन नहीं है और न ही कोई रॉयल्टी मांग सकता है। श्री पितलिया ने संवर्धन उद्योग और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के एक पब्लिक नोटिस का हवाला भी दिया जो विभाग के अंडर सेक्रेटरी नवीन कुमार द्वारा 24 जुलाई 2023 को जारी किया गया था। इस पत्र में बताया गया कि कई लोगों ने इस तरह की अवैध वसूली की शिकायत की है जबकि स्पष्ट है कि कॉपीराइट एक्ट 1957 की धारा 52 (1) के तहत किसी धार्मिक या सामाजिक कार्यक्रम में किसी तरह के साहित्य, नाटक, गीत या संगीत की प्रस्तुति कॉपीराइट के उल्लंघन में नहीं आती। यानी धार्मिक, आधिकारिक समारोह में किसी भी रूप में ध्वनि रिकॉर्डिंग इस दायरे से बाहर है। इन्हें बजाने के लिए कोई अनुमति या लाइसेंस नहीं चाहिए। फिर भी कार्यवाही का डर दिखाकर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाया जा रहा है।  सिएमा के सचिव ध्रुव मेहता ने बताया कि शासन, प्रशासन ने आयोजनों की समय सीमा रात 10 बजे तक कर दी है, जो व्यावहारिक नहीं है। शहरी दिनचर्या के चलते किसी भी शादी, पार्टी या अन्य समारोह में मेहमान रात 9, साढ़े 9 बजे के बाद ही आ पाते हैं। ऐसे में रात 10 बजे तक कार्यक्रम को खत्म करना असंभव है। इसलिए इस समय सीमा को भी आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
बढ़ रहा रोजगार का संकट
बताया जा रहा है कि सिर्फ लाइसेंस ही नहीं बल्कि कई कारणों के चलते सम्पन्न घराने के लोग विदेशों में जाकर हजारों करोड़ रुपए खर्च कर रहे हैं। भारतीय शादियां बाहरी देशों में होने के कारण और बड़े कार्यक्रम नहीं हो पाने के कारण इस इंडस्ट्री में काम करने वाले लोगों का रोजगार कम हो रहा है। शादियों और इवेंट्स से ही हजारों लोगों को रोजगार मिलता