पर्यवेक्षकों के मोबाइल नंबर दर्ज
करने में भी पिछड़ा जिला
इंदौर। जिले की आंगनवाडिय़ों में जाने वाले नौनिहालों के आधार पंजीयन के लिए चलाए गए अभियान के बावजूद अभी तक 56 हजार से अधिक बच्चों के आधार नहीं बन पाए हैं। दो परियोजनाओं ने आधार पंजीयन में बाजी मारते हुए सभी दर्ज बच्चों का पंजीयन करवा लिया है। इसी तरह जिले में सेवारत 70 पर्यवेक्षकों में से आधे के मोबाइल नंबर ही दर्ज नहीं बातए जा रहे हैं।
महिला एवं बाल विकास विभाग ने आंगनवाड़ी केंद्रों में दर्ज बच्चों के आधार पंजीयन के लिए सतत चलाई थी। मुहिम के बावजूद अभी तक मात्र दो परियोजना को छोड़कर शेष में बच्चों का आधार पंजीयन नहीं हो पाया है। विभाग की ऑनलाइन साइट के अनुसार देपालपुर ग्रामीण और इंदौर में एक शत-प्रतिशत बच्चों का आधार पंजीयन हुआ है, वहीं जिले में 56535 बच्चे आधार पंजीयन से वंचित है। आंकड़ों पर नजर डालें तो देपालपुर ग्रामीणों में 8341, इंदौर ग्रामीणों दो में 686, इंदौर शहरी एक में 2583 ,शहरी परियोजना क्रमांक 2 में 4808, शहरी 3 में 6233, परीयोजना 4 में 3609, पांच में 4543 ,शहरी परियोजना क्रमांक छह में 3672 और सात में 7471 बच्चों का आधार पंजीयन नहीं हो पाया है । इसी तरह महू छावनी में 265, महू ग्रामीण एक में 3985, और महू ग्रामीण परियोजना दो में 3199 तथा सांवेर परियोजना में 7140 बच्चों का आधार पंजीयन होना शेष है। यही नहीं, विभाग अपने पर्यवेक्षकों के मोबाइल नंबर की जानकारी होने के बावजूद उसे ऑनलाइन दर्ज नहीं कर पाया है। विभागीय पोर्टल के अनुसार जिले में पदस्थ 70 पर्यवेक्षकों में से मात्र 38 के मोबाइल नंबर ही अभी तक दर्ज हुए हैं । वहीं 50 पर्यवेक्षकों के ईमेल आईडी की जानकारी पोर्टल पर मिलती है। यही नहीं आधार सर्टिफिकेट एंट्री भी मात्र 54 पर्यवेक्षकों की ही की गई है। पोर्टल के अनुसार 70 पर्यवेक्षकों में से 13 को विभागीय टैबलेट मिले हैं और 69 निजी टैबलेट खरीदे हैं । उल्लेखनीय है कि जिला शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन में सबसे आगे रहा, किंतु विभागीय जानकारी को अपलोड करने में पिछड़ा नजर आ रहा है। विभाग के पोर्टल पर जिले की जानकारी पूरी तरह से अपलोड नहीं होने से जिला पिछड़ा नजर आ रहा है।
इंदौर
आंगनवाड़ी के 56 हजार से अधिक बच्चों का नहीं हुआ आधार पंजीयन
- 26 Jan 2020