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भोपाल

आईएफएस सर्विस में पहली बार- 48 घंटे में सीनियर अफसर ने लिया ट्रांसफर आदेश के खिलाफ कैट से स्टे

  • 18 Feb 2022

भोपाल। अखिल भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के मप्र कैडर के 1993 बैच के सीनियर अधिकारी शशि मलिक ने 14 फरवरी को हुए ट्रांसफर आदेश के खिलाफ कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) से स्टे ले लिया है। यह स्टे उन्हें 48 घंटे में मिला है। मप्र में इस सर्विस का यह पहला मामला है, जब किसी ट्रांसफर आदेश को कैट में चैलेंज किया है।
राज्य वन सेवा में तो ऐसे कई केस हैं। ग्वालियर सर्किल में पदस्थ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) मलिक का कहना है कि 22 फरवरी 2022 को उनका मौजूदा पद पर एक साल होता, इससे पहले ही उनका तबादला कर दिया। आमतौर पर फॉरेस्ट में पदस्थापना के 6-8 महीने तो काम समझने में लगते हैं। यदि पहले ही तबादला हो जाएगा तो व्यक्ति काम कैसे करेगा। जब डीएफओ था, तब मेरे बच्चे किसी भी स्कूल में एक सेशन पूरा नहीं कर पाए। कब तक सामान ढोते रहेंगे। कहीं तो रुकना होगा।
शासन का फैसला उन्हें मानना चाहिए था
वन बल प्रमुख व प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) आरके गुप्ता ने कहा कि मलिक को शासन का फैसला मानना चाहिए था। अब उन्होंने कैट से स्टे ले लिया है तो शासन आगे की प्रक्रिया अपनाएगा। एपीसीसीएफ (प्रशासन एक) आरके यादव ने गुरुवार को कैट का आदेश मिलने की पुष्टि की है।
इस रूल के आधार पर मिला स्टे
इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (कैडर रूल) 1966 में 28 जनवरी 2014 को संशोधन हुआ है। रूल 7 में कहा गया है कि ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने से पहले सिविल सर्विस बोर्ड की अनुशंसा जरूरी है। मलिक ने इसी रूल का हवाला देकर कैट से स्टे लिया है। दरअसल, 2013 में टीएसआर सुब्रह्मण्यम एवं अन्य वर्सेज केंद्र सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकारें तबादलों पर सिविल सर्विस बोर्ड बनाएं। इसी में ट्रांसफर, पोस्टिंग और अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्णय लें।
अब अगली सुनवाई 9 मई को
सुनवाई के दौरान कैट ने साफ कहा कि आईएफएस अफसर मलिक के मामले में 28 जनवरी 2014 को हुए सर्विस रूल में संशोधन के रूल का खुला उल्लंघन हुआ है। सर्विस बोर्ड की कोई अनुशंसा नहीं की गई। इसीलिए याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देते हुए ट्रांसफर ऑर्डर पर स्टे दिया जाता है। इस मामले में अब अगली सुनवाई 9 मई को होगी। इस दौरान सरकार अपना पक्ष रखे। गौरतलब है कि इस समय आईएफएस सर्विस में एम कालीदुर्रइ समेत कुछ अधिकारियों के साथ विवाद की स्थिति बनी हुई है।