कोरोना महामारी से आई गरीबी -बेरोजगारी ने माता-पिता को अपने सात माह के कलेजे के टुकड़े को अस्पताल में छोड़ने को किया था मजबूर
उज्जैन। शास.अस्पताल चरक भवन द्वारा कोतवाली पुलिस को सुचित किया गया कि एक सात माह की बच्ची का इलाज इस अस्पताल के आईसीयू में चल रहा है।जिसे पांच अक्टूबर को भर्ती कराया था, परन्तु आठ अक्टूबर के बाद से उसके माता-पिता का कोई पता नहीं चल रहा था।
कोतवाली पुलिस ने तत्काल अस्पताल में दर्ज कराए गए, पते के अनुसार झाबुआ पुलिस की मदद मांगी। तथा पेटलावद के गांव पहुंच वहां के सरपंच के साथ मिलकर चौबीस घंटे के भीतर बच्ची के माता-पिता को ढूंढ कर वापस चरक भवन अस्पताल लाए। पूछने पर नवजात के माता -पिता ने पुलिस को बताया कि, डॉक्टरों के अनुसार बच्ची बहुत कमजोर थी तथा आईसीयू में उसे भर्ती कर दिया था। हमें डर था कि अब भारी भरकम बिल बनेगा गरीबी के चलते हालत ठीक नहीं इसलिए इस डर से हम अपने कलेजे के टुकड़े को छोड़कर चले गए थे। पुलिस ने उन्हे समझाया कि शासकीय अस्पताल होने से भर्ती मरीज का शासन द्वारा खर्चा उठाया जाता है।आपका यहां पर कोई खर्चा नहीं लगेगा तथा बच्ची को माता पिता को।दिया,गोद में लेते ही माता पिता की आंख भर आई। गरीबी उपर से बेरोजगारी ने अपने कलेजे के टुकड़े को छोडने पर मजबूर कर दिया।वरना कोई यूं ही अपनेकलेजे के टुकड़े को अस्पताल में छोड़कर नही चले जाता।
उज्जैन
आईसीयू में छोड़कर भागे थे माता-पिता, पुलिस ने अस्पताल मे लिखे पते से ढूंढ निकाला
- 12 Oct 2021