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इंदौर

आधुनिक समाज में भी काला जादू और तंत्र मंत्र पर विश्वास से टुटे परिवार को वन स्टॉप सेंटर ने किया एक

  • 22 Oct 2021

इंदौर। पति से परेशान एक महिला वन स्टॉप सेन्टर पर आवेदन देने आई,कहा की पति से परेशान हूं, पति न किराने का सामान लाता है, न बच्चों की फीस भर रहा है न मेरा इलाज करवा रहा है।और जब मेरा पति कोई भी जिम्मेदारी नहीं उठाता तो मैं इसके साथ क्यूं रहूं?
कपड़े भी जो मेरी मां लाकर देती है वही पहनते है,थोड़ा मैं कमाती हूं थोड़ा मां मदद कर देती है। और पति कभी कभी मन हो तो थोड़ा किराना ले आता है पति पता नहीं कहां कहां स्नान करने जाते हैं, पता नहीं कहां कहां बहने बना रखी हैं मुझे अब इसके साथ बिल्कुल नही रहना। मुझे इनसे भरण पोषण दिलवाया जाय, मैं बच्चों के साथ अलग रहूंगी, इसे तलाक भी नही दूंगी, नही तो ये किसी और से शादी कर लेगा।
चूँकि प्रशासक डा वंचना सिंह परिहार के  निर्देशानुसार कभी भी सीधे विधिक कार्यवाही नहीं की जाती।
वह पीड़िता बहुत परेशान थी, बातों को जानने समझने के लिए तथा परामर्श के लिए पति पत्नी को बुलाया गया।
साथ में  पीड़ित महिला की मां भी आई, पति के बड़े भाई जो पुलिस विभाग में कार्यरत हैं वह भी आए।
एकल परामर्श और संयुक्त परामर्श के दौरान ज्ञात हुआ की देवरानी की मृत्यु हुई तो पति ने उसकी टोकरी ला रखी है,रोज उसकी पूजा करता है, घी और तेल के बड़े बड़े दिए जलाता है।
ठीक ठाक कमाने के बावजूद भी घर पर और बीबी बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहा। महिला के बच्चे से भी पुछताछ की गई तब ज्ञात हुआ पति दो स्थानों पर नौकरी करता है, बाहर से टिफिन लेकर खाना खाता है।पति का कहना था इसलिए पैसा नही बचता तो मैं घर खर्च कहां से चलाऊं? इस पर राशि का हिसाब मांगने पर वह हिसाब देने में असमर्थ रहा।
परामर्शदात्री ने बच्चो को बुलाकर उनसे भी सत्यता जानने का प्रयत्न किया, तब बच्चे बोले की कोरा चावल खाते हैं या सेव से रोटी खा लेते हैं, कभी कभी मम्मी सब्जी लाती है तो सब्जी खाते हैं।
इस बात पर पति को फटकार लगाई गई की टोकरी के सामने घी तेल के दिए जला रहे हो और बच्चों को खाने के लिए नही मिल रहा, शर्म आनी चहिये।पति के भाई साहब को भी मध्यस्थ बनाया गया की पति किसी बहन के नाम से किसी गांव में न जाए इसकी जिम्मेदारी आप लीजिए।
पति की एक स्थान की तनखा के १०,००० सीधे पत्नी के अकाउंट में जमा करवाने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए जिस राशि में खुद की कमाई मिलाकर पत्नी को पूरा घर खर्च चलाने और दोनो बच्चों की मासिक फीस भरने की जिम्मेदारी दी गई,पति ने मान्य किया की वो pf से २०,००० की राशि निकालकर बच्चों की डेढ़ साल की बकाया फीस एक साथ भर देगा। पत्नी को भी समझाया गया कि पति को एक समय का टिफिन बनाकर पहुंचवाने की व्यवस्था करे। पति दूसरे स्थान से मिलने वाली तनख्वाह खुद के खर्चे के लिए रखे जिसमे आना जाना, नाश्ता चाय, एक समय का टिफिन यह सब आराम से होगा और उसके पास राशि भी बचेगी। तो दोनों एक निश्चित राशी की रेकरिंग डिपॉजिट बच्चों के नाम से शुरू करे।पति ने घर में रखी टोकरी के कारण ६ माह बाद पुन: स्नान पर जाने की बात कही की पत्नी भी साथ चले, तब मामला फिर बिगड़ने लगा तब परामर्शदात्री ने जेठ को बुलाकर बात की और तय किया की ठीक है,आप भी साथ जायेंगे दोनो के और तब टोकरी नर्मदा में विसर्जित कर दी जाए। ताकि भविष्य में ऐसे किसी विषय पर विवाद की स्थिति न बने और पति की भावना भी आहत न हो।
 पति की शिकायत थी की पत्नी की मां का बहुत हस्तक्षेप रहता है तो उन्हें भी समझाया गया की कुछ महीने तक दोनो को अपना रिश्ता सम्हालने का वक्त दीजिए और आप थोड़ा आने जाना काम कर दीजिए।इस तरह पति पत्नी साथ रवाना हुये।