32 स्थानों पर पेड़ कटे, 40 स्थानों पर पेड़ गिरे, वर्षभर में 275 पेड़ विदा हुए
इन्दौर। शहर की आबोहवा को सुधारना या उसे साफ और शुद्ध बनाए रखना हैं तो यह जरूरी है कि हम बड़ी संख्या में पौधारोपण करने के साथ पेड़ों को कटने से भी बचाएं। इस दिशा में गुजराती साईंस कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं पर्यावरणविद डॉ. ओ.पी. जोशी बेहद जागरूक एवं सक्रिय हैं। वे रोजाना कड़ी नजर रखते हैं, कि कहीं कोई पेड़ गिरा, कटा या उसका स्थानांतरण तो नहीं हुआ? और उस जानकारी को तुरंत अपनी दैंनदिनी डायरी में दर्ज कर लेते हैं। इन्दौर शहर के पर्यावरण पर इस तरह की सतत् निगरानी वे पिछले कई वर्षों से कर रहे हैं और यह सिलसिला बदस्तूर अब तक जारी है। वर्ष 2021 में 1 जनवरी से लेकर 27 दिसम्बर 2021 तक शहर में कितने पेड़ कटे, गिरे या उनका स्थानांतरण हुआ उसकी समग्र जानकारी दे रहे डॉ. ओ.पी. जोशी।
डॉ. ओ.पी. जोशी के मुताबिक वर्ष 2021 में भी पेड़ों पर संकट बना रहा। शहर के 32 स्थानों पर 200 पेड़ काटे गए। 40 स्थानों पर 75 पेड़ गिरे। 27 मई और 3 जून 2021 को आए आंधी-तूफान में 50 पेड़ धराशायी हुए। इस प्रकार वर्षभर में 275 पेड़ शहर से विदा हो गए। गौरतलब है कि ज्यादातर पेड़ बगैर नगर निगम की अनुमति के या छंटाई की अनुमति लेकर रात में काटे गए। सुन्दरता को बढ़ाने वाले पेड़ तुलसी नगर, जानकी नगर एवं वैशाली नगर के बगीचों में काटे गए। खण्डवा रोड़ एवं एमआर-10 ग्रीन बेल्ट में भी पेड़ कटे। माणिकबाग पुल के पास प्रताप नगर क्षेत्र में महापौर द्वारा रोपित पौधों से बने पेड़ भी नहीं बच पाए। संबंधित थानों एवं लोकायुक्त पर शिकायत भी की गई, परन्तु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हालांकि पेड़ों की कटाई रोकने में पेड़ प्रेमी मुकेश वर्मा एवं राजवीर सिंह काफी सक्रिय रहे।
डॉ. जोशी ने बताया कि शहर में आबोहवा सुधारने के प्रयास पिछले कुछ वर्षों से किए जा रहे हैं। वर्ष 2019 से प्रारम्भ राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में देश के 102 शहरों में इन्दौर को भी शामिल किया गया है। वायु गुणवत्ता सुधारने हेतु 101 करोड़ रुपए की राशि भी आवंटित भी की गई। एक अंतर्राष्ट्रीय क्लीन एयर केटेलिस्ट कार्यक्रम में भी पूरे विश्व में जकार्ता के साथ इन्दौर का चयन हुआ। इस कार्यक्रम के तहत वर्ष 2025 तक वायु गुणवत्ता सुधार हेतु कई कार्य प्रशासकीय, सामाजिक एवं जनता की भागीदारी से किए जाएंगे। इसके तहत कई कार्य किए जाना है एवं कुछ प्रारम्भ भी कर दिए गए हैं। जैसे उद्योग, दुकान, रेस्टोरेंट एवं ढाबों में लकड़ी-कोयला की बजाय गैस या विद्युत का उपयोग। लोडिंग रिक्शा तथा स्कूल कॉलेज की बसों को गैस या विद्युत से संचालित करना। चौराहों पर टाईमर लगाना। रेड लाइट पर इंजन बंद करना। ग्रीन बेल्टस क्षेत्र में पौधों की संख्या बढ़ाना तथा नदि किनारों पर सघन पौधा रोपण करना।
डॉ. जोशी ने बताया कि शहर में वायु गुणवत्ता सुधार के कार्यक्रमों में पुराने पेड़ों को बचाने की योजना होनी चाहिए, क्योंकि वायु गुणवत्ता को कम करने में प्राकृतिक तौर पर सबसे अहम भूमिका पेड़ों की होती है। शहर में लागू नई पुलिस कमिश्नर प्रणाली में यदि पेड़ों की कटाई पर तुरन्त एफआईआर (पुलिस प्रकरण) दर्ज होकर कार्रवाई हो तो काफी पेड़ों को बचाया जा सकता है।
इंदौर
आबोहवा सुधारने के प्रयास तो हो रहे हैं, लेकिन पेड़ों का संकट बरकरार
- 01 Jan 2022