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भोपाल

इंडियन रोड कांग्रेस के सेमिनार में गधे पर विवाद, पैनलिस्ट की बात पर CE ने किया ऐतराज, कहा- आप इंजीनियर्स को गधा मत कहिए

  • 21 Oct 2024

भोपाल। भोपाल के रवीन्द्र भवन में रविवार को दो दिवसीय इंडियन रोड कांग्रेस का सेमीनार खत्म हो गया। सेमिनार का आयोजन सड़क और पुल के निर्माण में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल पर चर्चा के लिए किया गया था। इस पर चर्चा भी हुई लेकिन यहां गधा शब्द पर विवाद खड़ा हो गया। एक पैनलिस्ट ने गधा हम्माली कहा तो जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने आपत्ति दर्ज कराई कि इंजीयनियर्स को गधा मत बोलिए। इस विवाद से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस सेमिनार का उद्घाटन किया था।
अब पढ़िए गधे का जिक्र आते ही कैसे हुआ विवाद...
पैनलिस्ट संजय श्रीवास्तव ने सेमिनार में कहा कि सब चीज मॉनिटरिंग सपोर्ट से ही चल रही है। कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग बहुत जरूरी है। हर साल रेफरेशन कोर्स होने चाहिए। रेगुलर इंप्लीमेंटेशन हो जाए, ये हो जाएगा। बाकी जगह हो रहा है ब्यूरोक्रेट्स रेगुलर बाहर जा रहे हैं। इंटरनेशनल लेवल पर घूम रहे हैं। मगर हमारे यहां सब गधे की तरह लगे हुए हैं। सारे इंजीनियर्स... कि सुबह साइट पर चले जाओ, शाम को वहां आ जाओ ।
जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर ने उन्हें तुरंत रोका। कहा- सर, गधा मत बोलिए। ये गलत है।
श्रीवास्तव ने कहा- गधा हम्माली का मतलब...
उनकी बात पूरी होती इससे पहले ही एस के वर्मा ने उन्हें रोकते हुए कहा कि ये गलत बात है। इसे वापस लीजिए।
श्रीवास्तव ने कहा- सर, मैंने इसे वापस ले लिया। मगर हम एक टाइप ऑफ वर्किंग में बंध गए हैं। एक रेगुलर फैकल्टी वर्किंग है।
पैनलिस्ट के विचार गडकरी से भी अलग रहे
एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री गडकरी ने यहां कहा था कि मुख्यमंत्रीजी आपके यहां इजीनियरिंग कॉलेज होंगे। सड़क-पुल के डीपीआर चेक करने का काम उन्हें दीजिए। इससे उनका अनुभव भी बढ़ेगा और डीपीआर क्रॉस चेक भी हाे जाएगा।
इस विचार से ठीक अलग पैनलिस्ट श्रीवास्तव ने कहा कि आईआईटी के बच्चों को पढ़ाई छोड़कर रिसर्च में घुसा दिया है। जो बेसिक काम है, आईआईटी का वो तो पढ़ाना है और बच्चों को निकालना है। उनसे प्रोजेक्ट प्रोविजन बनवा लो, सब कुछ वहीं से होगा तो फिर कैसे होगा?
उनके पास चले जाओ तो एक डिजाइन अप्रूव कराने में 6-6 महीने लग जाते हैं। फिर हम वहां से शिफ्ट कराने के लिए घूमते हैं कि इस आईआईटी को छोड़ दो, आप दूसरी जगह से करा दो, एनआईटी से करा दो। यह प्रैक्टिकल प्रॉब्लम है, जिसके बारे में बात कर रहा हूं, इसको हमें समझने की जरूरत है।
सेमिनार में डामर को लेकर भी उठे सवाल
जबलपुर पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर एसके वर्मा ने भारतीय सड़क कांग्रेस (IRC) के महासचिव एसके निर्मल से सड़कों के निर्माण में यूज होने वाले डामर को लेकर सवाल उठाए। वर्मा ने कहा- डामर की क्वालिटी को लेकर बहुत समस्या है। मुझे कहने में यह अच्छा नहीं लग रहा लेकिन, यह हकीकत है। इसको कैसे कंट्रोल करें? आपने मिनिस्ट्री से सर्कुलर निकाल दिया कि टेस्ट करके ठेकेदार एक्सपोर्ट वाला डामर उपयोग कर सकता है, लेकिन वह टेस्ट नहीं हो पाता, क्योंकि उस टेस्ट के लिए हमारे पास कोई इंस्ट्रूमेंट ही नहीं है।
चीफ इंजीनियर एसके वर्मा ने कहा- सर, डामर को लेकर बड़े स्तर पर प्लानिंग करनी पड़ेगी। मैं छिंदवाड़ा में 2010-11 में था। वहां उस दौरान 27 रोड बनाए। सारे 27 रोड जिंदा हैं। केवल हम 5-6 साल में उसका 5 -6 साल में रिन्युअल कर रहे हैं। छिंदवाड़ा के ईई भी यहां बैठे हैं। वे भी बता सकते हैं। आप जो कोड बनाते हैं, अगर हम 70 प्रतिशत उसका पालन कर लेंगे तो इससे हमारा सरफेस रोड खराब नहीं होगा।
एस के वर्मा ने फिर ये कहा-
डामर की बहुत बड़ी समस्या है, उसमें बहुत बड़ा रैकेट कम कर रहा है और वह रैकेट इतना बड़ा है कि अगर हम टच करेंगे तो बहुत बड़ी प्रॉब्लम होगी। इसलिए आप मिनिस्ट्री में मंत्री जी गडकरी साहब से बात करके इसमें कुछ सर्कुलर जारी करें कि डामर के ऊपर कंट्रोल हो जाए। जबलपुर