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इंदौर को मिलेगी 150 बसें, अभी दौड़ रही है 40

  • 03 Nov 2023

इंदौर । मध्यप्रदेश को छह शहरों में सार्वजनिक परिवहन को बेहतर करने और पर्यावरण के अनुकूल पीएम ई-बस सेवा के तहत 552 बस मिलना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने अपनी शर्तों के साथ राज्य सरकार से प्रस्ताव मंगाए थे, लेकिन अब तक राज्य सरकार ने अपना प्रस्ताव नहीं भेजा है। इसका कारण केंद्र सरकार की एक शर्त है। इसमें बस का संचालन करने वाली कंपनी को हर माह राशि के भुगतान करने में विलंब होने पर पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म के तहत राज्य सरकार के फंड से राशि जारी की जाएगी। इस पर वित्त विभाग आपत्ति दर्ज कराई है।
विभाग का कहना है कि इसका भार बसों का संचालन करने वाले नगरीय निकायों को ही उठाना चाहिए। अब नगरीय प्रशासन विभाग ने भुगतान अर्बन लोकल बॉडी (यूएलबी) के अनुदान की राशि से करने का प्रस्ताव बनाकर राज्य सरकार को भेज दिया है। जिसे स्वीकृति के बाद मुख्य सचिव कार्यालय से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। यदि इस पर सहमति बनती है तो फिर ई-बसें खरीदी की प्रक्रिया शुरू होगी। ऐसे में साफ है कि प्रदेश में ई-बसों का संचालन करने में एक साल से ज्यादा का समय लगेगा।
योजना में एक एजेंसी बस खरीदकर उसका संचालन प्रति किलोमीटर के अनुसार करेगी। वहीं, बस में यात्रियों से किराया वसूली का काम दूसरी एजेंसी देखेगी। इसमें संचालन करने वाली कंपनी को तय राशि का भुगतान हर महीने किया जाना है। यदि बस के संचालन से कमाई नहीं होती है तो उसके संचालन के लिए केंद्र सरकार ने पेमेंट सिक्योरिटी मैकेनिज्म की शर्त जोड़ी है। इसमें कमाई के बाद घाटे की भरपाई राज्य के कंसोलिडेटेड फंड से करने की शर्त जोड़ी गई है। इसके पीछे का कारण घाटा होने पर बसों का संचालन बंद करने जैसी स्थिति नहीं निर्मित होने देना है। बता दें, संचालन कंपनी को स्टैंडर्ड बस के लिए 24, मिडी बस के लिए 22 और मिनी बस के लिए 20 रुपये प्रति किलोमीटर भुगतान करेगी। टेंडर कंपनी को दस साल मिलने वाली राशि में हर साल बढ़ोतरी भी होगी।
इंदौर को 150 और भोपाल को 100 बसें
प्रदेश के छह शहरों को 552 बसें मिलेगी। इसमें इंदौर को 150 के अलावा भोपाल, जबलपुर, उज्जैन को 100, ग्वालियर को 70 और सागर को 32 बसें मिलेंगी। अभी इंदौर में करीब 40 ई बसें चल रही हैं। इंदौर में बस के संचालन की दर प्रति किलोमीटर 76 रुपये है। इंदौर में प्राइम रूट पर बस संचालकों से राशि ली जा रही है, जबकि कम सवारी वाले रूट पर बसों को प्रति किलोमीटर से चलाकर घाटे का भुगतान किया जा रहा है।