इंदौर। निगम, मंडल, बोर्डों में राजनीतिक नियुक्तियां न होने से कांग्रेस के नेताओं में नाराजगी है। प्रदेशभर के तमाम नेता पिछले दिनों इस बारे में मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से मिले भी थे लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इंदौर के तमाम नेता पद पाने की आस में बैठे हैं और मौके- ब-मौके अपना दर्द सोशल मीडिया या नेताओं के समक्ष व्यक्त करते हैं। वो कह रहे हैं कि सरकार को बने सालभर से ज्यादा हो गया, नियुक्तियां कब होंगी? पूर्ववर्ती शिवराज सरकार के वक्त भाजपाइयों का भी ऐसा ही हाल था। वे भी कुर्सी ताकते रह गए थे।
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के नेताओं में नाराजगी फैल रही है और यदि निगम-मंडल-बोर्डों में नियुक्तियों में और देर की गई तो उनके असंतोष के स्वर फूटकर बाहर आ सकते हैं। उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल के एक वर्ष के भीतर नियुक्तियां कर देंगे जिसका वादा भी उन्होंने भोपाल में पीसीसी में सम्मान समारोह में किया था लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। गत लोकसभा चुनाव के वक्त प्रदेश में कांग्रेस के कुछ नेता इस मुद्दे पर भितरघात करने की फिराक में थे जिन्हें ऐन वक्त पर भनक लगने पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने ये कहकर ही मनाया था कि वे काम करें और दीपावली के पूर्व ही नियुक्तियां कर दी जाएंगी। अब दीपावली बीते भी तीन माह हो चुके और नियुक्तियों की कोई चर्चा कहीं भी सुनाई नहीं दे रही।
इस वक्त कमलनाथ मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के दोहरे बोझ को अपने कंधों पर उठाए हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की चर्चा अक्सर चलती है लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकलता। नेताओं का कहना है कि नियुक्तियों को लेकर प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया की मुख्यमंत्री के साथ बैठक हुए करीब दो माह बीत चुके हैं लेकिन फिर भी इसमें देरी हो रही है जो आस लगाए बैठे नेताओं के लिए असहनीय होती जा रही है। कई विधायक मंत्री न बनाए जाने से नाराज हैं तो उनके समर्थक निगम-मंडल-बोर्डों में नियुक्तियां न होने से खुश नहीं हैं। इससे विधायकों के साथ पार्टी के अन्य नेताओं में भी नाराजगी दिख रही है।
विवाद के रूप में सामने आ रही नाराजगी
गणतंत्र दिवस पर गांधी भवन पर झंडावंदन करने कमलनाथ के पहुंचने से पूर्व ही दो कांग्रेस नेताओं के बीच भिड़ंत के पीछे एक कारण ये भी रहा कि दोनों नेता निगम-मंडल-बोर्ड में नियुक्ति पर नजरें टिकाए हैं। अपनी इच्छापूर्ति के लिए वे कमलनाथ के ज्यादा से ज्यादा नजदीक पहुंचना चाहते थे जिससे विवाद हुआ। ऐसा अकेले इंदौर में नहीं हुआ, प्रदेशभर में हो रहा है। पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष रहे अजयसिंह ने भी कहा था कि हर नेता अपना वर्चस्व बनाना चाहता है और नाथ के नजदीक पहुंचना चाहता है। इससे विवाद पनप रहे हैं।
शिवराज को भी भोगना पड़ा खामियाजा
आने वाले दो से तीन माह के भीतर निकाय चुनाव होने हैं जिसमें नियुक्तियां न होने का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है। बड़ी संख्या में फूट, भितरघात, बगावत हो सकती है। ठीक ऐसी ही स्थिति भाजपा सरकार में शिवराज सिंह सरकार की हुई थी। उन्होंने भी निगम-मंडल-बोर्डों में नियुक्तियों से परहेज कर लिया था और नेताओं को लटकाए रखा था। इंदौर में एक बार तो कार्यकर्ताओं का गुस्सा भी फूट पड़ा था और उन्होंने कह दिया था कि अब शिवराज प्रदेश में भाजपा को जिताकर ही देख लें। उनका गुस्सा विधानसभा चुनाव में सामने आया और भाजपा के हाथ से सत्ता चली गई।
समन्वय समिति से नहीं बनेगी बात
पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अन्य राज्यों के साथ-साथ मप्र में भी सत्ता और संगठन में बेहतर तालमेल के लिए समन्वय समिति का गठन किया है जिसके अध्यक्ष श्री बाबरिया बनाए गए हैं। गुटीय संतुलन के लिहाज से इसमें मुख्यमंत्री कमलनाथ के अलावा, दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरुण यादव, जीतू पटवारी और मीनाक्षी नटराजन को भी लिया गया है लेकिन नेताओं का कहना है कि इससे बात नहीं बनेगी क्योंकि समिति सदस्यों के हित आपस में टकराएंगे और इस टकराव का नतीजा ये निकलेगा कि नियुक्तियां अटकी पड़ी रहेंगी। एक नेता दूसरे के समर्थक को नियुक्त नहीं होने देगा।
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इंदौर / कई नेता आस लगाकर बैठे : निगम-मंडल-बोर्डों में नियुक्तियां न होने से कांग्रेस में नाराजगी
- 09 Feb 2020