एक ही रूट पर ज्यादा गाड़ियों से होते थे लड़ाई झगड़े
इंदौर में प्रदूषण की रोकथाम और आम नागरिकों को सहज रूप से लोक परिवहन वाहन उपलब्ध कराने की दृष्टि से इंदौर शहर में पिछले 1 साल से इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा का प्रचलन कुछ ज्यादा हो चुका है। यह कार्य पर्यावरण और जन स्वास्थ्य की दृष्टि दोनों से अनुकूल है। लिहाजा इसे बढ़ाए जाने की मांग पिछले लंबे समय से की जा रही थी। इंदौर शहर में चलने वाले ई रिक्शा की संख्या वर्तमान में लगभग 2000 से अधिक हो चुकी है। कुछ इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा अधिक सवारी मिलने के कारण एक ही चुनिंदा रूटों पर चलन में आ रहे थे। जिसके कारण कई बार आपस में लड़ाई झगड़े की भी संभावना बन रही थी।
इसके अलावा कुछ अन्य मार्ग ऐसे हैं जहां पर नाम मात्र के ई-रिक्शा चल रहे हैं। ई रिक्शा चलाने से बेरोजगारों को रोजगार मिल रहा है वहीं पर्यावरण को भी बढ़ावा मिल रहा है साथ ही प्रदूषण को कम करने में यह मददगार सिद्ध हो रहे हैं। क्योंकि पुराने जो रिक्शा चल रहे हैं वह कहीं ना कहीं प्रदूषण को बढ़ाने में ही योगदान दे रहे हैं। क्योकि कुछ ऑटो रिक्शा चालक तो पेट्रोल की बजाय घासलेट और डीजल से अपने वाहन चला रहे हैं। ऐसे में इंदौर शहर का हाल भी कहीं दिल्ली जैसा ना हो जाए....। लिहाजा जनहित में यह आवाज उठ रही थी कि इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के प्रचलन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए । इसी का नतीजा है कि इलेक्ट्रॉनिक बसें शहर की सड़कों पर दौड़ने लगी वही ई रिक्शा भी काफी संख्या में उपलब्ध हो गए हैं हाल ही में क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय इंदौर के द्वारा इंदौर शहर के 50 नए मार्गों पर ई रिक्शा चलाए जाने की अनुमति प्रदान की गई है। आरटीओ के द्वारा जो मार्ग तय किए गए उनमें प्रमुख रूप से कालानी नगर से बांगड़दा मरीमाता से पोलो ग्राउंड अन्नपूर्णा के अलावा गुमास्ता नगर महू नाका भवर कुआं रेलवे स्टेशन बड़ा गणपति गीता भवन तिलक नगर पाटनीपुरा बॉम्बे अस्पताल रीजनल पार्क मोती तबेला पिंक सिटी भंवरकुआं कलेक्टर कार्यालय सहित अन्य लगभग 50 मार्ग शामिल किए गए हैं। जिन पर लगभग 500 से अधिक ई रिक्शा चलाए जा सकते हैं। कुछ नए मार्गों पर ई रिक्शा के प्रचलन को अनुमति दिए जाने से इलेक्ट्रॉनिक रिक्शा चालक भी काफी संतुष्ट और प्रसन्न नजर आ रहे हैं।