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बात मुद्दे की

इतना आसान नहीं है सिंधिया का मुख्यमंत्री बनना...?

  • 28 Feb 2022

 

( एल एन उग्र )
गत दिवस एक संत ने... सिंधिया को आशीर्वाद देने से... न केवल मध्य प्रदेश... बल्कि पूरे देश की राजनीति में बवाल आ गया है... कहे तो राजनीति गरमा गई है  ... ज्योति रादित्य  सिंधिया के बारे में... एक बात सभी को जानना चाहिए... कि अभी भी वे माधवराव सिंधिया की राजनीति... के मुकाबले कम वजन रखते हैं... फिर भी राजनीति के टोपे खिलाड़ी हो ही गए हैं... ज्योतिराज सिंधिया... सचिन पायलट... राहुल गांधी... वरुण गांधी... जतिन प्रसाद...जैसे नेता  अपने पिताश्री के दुखद निधन के कारण राजनीति में है... और जो बड़े राजनीति के खिलाड़ी हैं... या इन सभी के पिता गणों के साथ... राजनीति की है... वह आज भी इन नेताओं को बच्चे ही समझते हैं... खैर विषय यह है कि हाल ही में... एक संत ने सिंधिया को राज्य का अगला मुख्यमंत्री... शिवराज सिंह चौहान का उत्तराधिकारी... होने की भविष्यवाणी की है... कुछ दिनों बाद यह संत परिदृश्य से ओझल हो जाएंगे... परंतु मुद्दा जीवित रहेगा...राजनीति जो करा दे वह कम ही है... अन्य कोई बड़ा मुद्दा अभी था नहीं... तो पूर्व नियोजित- प्रायोजित मुद्दा वातावरण में उछाला गया है...सिंधिया क्या वास्तव में मुख्यमंत्री बनने की क्षमता रखते हैं... इस पर विचार अनिवार्य है... क्योंकि अभी भी ज्योतिराज सिंधिया... पूरे प्रदेश के लिए सर्वमान्य नेता नहीं है... वे तो भाजपा को, उनको झेलना इसलिए जरूरी है... कि राजनीति में हल्का गेम खेला गया...कांग्रेस सरकार को गिरा कर...शिव का राज स्थापित किया है...जो अच्छी राजनीति कभी नहीं हो सकता है... इसे दगा की परिभाषा भी कहा गया है... तो कुछ पुरस्कार तो मिलना ही था  ...l
यह कोई नई घटना नहीं है... सिंधिया परिवार के लिए...  राजनीति में... क्योंकि राजमाता विजय राजे सिंधिया ने भी ... राजनीति में पाले बदले हैं ... माधव सिंधिया ने भी पाले बदले हैं... हालांकि माधवराव सिंधिया ने...शीघ्र ही राजनीति को समझा... और समय- समय रहते वापस कांग्रेस में घर लौट आए थे... ज्योतिराज सिंधिया ने पाला बदला है...देखना यह है कि वह घर वापसी कब करते हैं... तो मुख्य मुद्दा आया है... मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने का...तो क्या वास्तव में...ज्योतिराज सिंधिया ने सिर्फ कांग्रेस सरकार... इसलिए गिराई है कि उन्हें... मुख्यमंत्री बनना था...सिंधिया ना तो कांग्रेसमें सर्वमान्य नेता थे... न भाजपा में... क्योंकि भाजपा में बड़े-बड़े और चालाक  खिलाडी... मुख्यालय की कुर्सी के लिए किसी भी हद तक खेल खेल सकते हैं...शिवराज एक चतुर चालाक और दूर की  देखने वाले नेता हो गए हैं... कई बड़े दावेदारों के काम लगा दिए  हैं...प्रदेश के बाहर ही कर दिया है... l
कई बार यूं लगा कि ... शिवराज गए और फला शपथ लेने वाले हैं... पर नहीं शिव के राज की कहानी बड़ी जटिल है... यह कहानी भाजपा के दूरदर्शी नेता भी समझ रहे हैं... कि मामा का जादू चलने दो... मामा चालाक हो गए हैं... और सभी को सेट करने में कलाकार हैं... ऐसे में जबकि कई यों की फाइलें शिवराज ने निपटाए  है...वह सिंधिया को इतनी आसानी से... अपना उत्तराधिकारी बनने देंगे...शायद नहीं...? एक और बात है...सिंधिया परिवार के सदस्यों को मुख्य नेतृत्व क्यों नहीं दिया जाता है... परिवार पर लगा प्रश्न चिन्ह  अभी भी हटा नहीं है...l राजमाता ने जनसंघ और भाजपा के लिए काफी कुछ किया... लेकिन नंबर वन नहीं बन पाई...माधवराव के लाख जतन के बाद भी... वे एक नंबर नहीं बन पाए... पार्टी छोड़ी...फिर आए...लेकिन एक नंबर नहीं बन सके...और उनकी तुलना में... ज्योतिरादित्य सिंधिया का वजन... और अन्य बातें बहुत कम है...फिर कांग्रेस के कई ऐसे नेता हैं...जिनका दखल भाजपा में भी बड़े स्तर पर है...जब चाहे अपने परिवार के सदस्य को... भाजपा में भेजकर सांसद तक बनवा लेते हैं...चाणक्य नीति के समर्थक हैं... वे कभी नहीं चाहेंगे कि... भाजपा में  ज्योतिराज सिंधिया... सिरमौर बने... वे कांग्रेसमें भी   उनका खेल बिगाड़  चुके हैं... और भाजपा में उनका खेल बिगाड़ देंगे... इसकी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है... l कई भाजपा के बड़े नेता और संघ वाले... कभी नहीं चाहेंगे कि... बाहरी  तत्व जो दल बल के बड़े नाम बने हैं...वह भाजपा की राजनीति में सिरमौर हों...क्योंकि जो सालों की कांग्रेश... जिसने  नाम प्रतिष्ठा सम्मान... " महाराज" के नाम को चलने दिया...उसके सगे नहीं हुए... तो भाजपा के होंगे...?कब फिर घर लौटने की ललक जाग जाए... तो कई बड़े बड़ों से बड़े दिमागी...दिग्गज और राजनीति के बड़े खिलाड़ी... ज्योतिराज सिंधिया के मुख्यमंत्री बनने की राह में बड़े रोड़े हैं... मुझे नहीं लगता है कि...भाजपा में ज्योतिराज सिंधिया को कोई... मुख्यमंत्री के रुप में देखना पसंद करेगा...l कई के मन में खटक रहे हैं वे...कांग्रेसी जो भाजपा में मौका परस्ती की पूर्ति के चलते... उनका हक मारकर कब्जा कर बैठे हैं... वह तो ऊपर की  गाइडलाइन की थी... इसलिए इतने लोग भाजपा में... कांग्रेसी जीत गए... पर कांटा तो कईयों को चुभा  हुआ है... पीड़ा भी है... लामबंद  भी है लोग...सिंधिया  यदि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने... तो भाजपा में विद्रोह की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है... क्योंकि भाजपा ने कईयों के खेल बिगाड़ हैं... अब ज्योतिराज सिंधिया के फेरे में... भाजपा का खेलन बिगड़ जाए... l
तो मेरा ऐसा मानना है कि...इतना आसान नहीं है... मुख्यमंत्री के रूप में सिंधिया की मध्य प्रदेश में ताजपोशी होना...?