सागर। इनकम टैक्स विभाग ने सागर में तीन दिन तक लगातार कार्रवाई कर भाजपा के धनकुबेरों का खुलासा किया है। बंडा से भाजपा के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर और पूर्व पार्षद राजेश केशरवानी की फर्म और आवासों पर आईटी के छापों में 150 करोड़ से अधिक की टैक्स चोरी पकड़ी गई है। 200 करोड़ से अधिक की संपत्ति का पता चला है, जिसमें तीन जगह से करीब 19 किलो सोना, 144 करोड़ की नकदी लेनदेन और 7 बेनामी लग्जरी कारें मिली हैं। सूत्रों के अनुसार पूरा मामला टैक्स चोरी, मनी लॉड्रिंग, कंस्ट्रक्शन, शराब और बीड़ी कारोबार से जुड़ा हुआ है।
आयकर विभाग की अलग-अलग टीमों ने रविवार तड़के सागर के सदर स्थित राठौर बंगले पर रेड की थी। यह बंगला भाजपा से बंडा के पूर्व विधायक हरवंश सिंह राठौर का है। उनके भाई कुलदीप सिंह राठौर बड़े शराब करोबारी हैं और साथ रहते हैं। दूसरी टीम ने जवाहर गंज वार्ड स्थित भाजपा के पूर्व पार्षद व कारोबारी राजेश केशरवानी और उनके साथी राकेश छावड़ा के घर पर छापामार कार्रवाई की थी।
आईटी की टीमें 50 से अधिक गाड़ियों से सागर पहुंची थी। छापामार कार्रवाई की खबर लगते ही सागर के कारोबारियों जो राठौर, केशरवानी के नजदीकी हैं, उनमें हड़कंम मचा हुआ था। तीन दिन तक चली सघन कार्रवाई के बाद आईटी विभाग ने बड़ी टैक्स चोरी और बेनामी संपत्ति का खुलासा किया है। अभी भी इनसे जुड़े दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। मामले में ईडी की एंट्री भी हो सकती है।
बंडा से पूर्व विधायक रहे हरवंश सिंह राठौर के बंगले पर रविवार तड़के से मंगलवार दोपहर तक आयकर विभाग की टीमें कार्रवाई कर दस्तावेज खंगालती रहीं। इस दौरान राठौर के यहां से 14 किलो सोना और 3.8 करोड़ नकदी मिली है, जिसका कोई हिसाब-किताब राठौर परिवार मौके पर नहीं दे सके हैं।
राठौर परिवार दशकों से ही संभाग का बड़ा बीड़ी कारोबारी और राजनीति में प्रभावशाली परिवार रहा है। हरवंश सिंह की राजेश केशरवानी के साथ कंस्ट्रक्शन के काम में साझेदारी का खुलासा हुआ है, जिस कारण आईटी विभाग उन तक पहुंची थी।
पूर्व पार्षद व बीड़ी कारोबारी राजेश केशरवानी परिवार के यहां आईटी रेड के दौरान अधिकारियों को 140 करोड़ से अधिक के नकद लेनदेन, 7 बेनामी लग्जरी कारें और करीब 4.7 किलो सोना मिला हैं। सूत्र बताते हैं कि सोना सीज नहीं किया गया क्योंकि केशरवानी परिवार ने गोल्ड और जूलरी खरीदी के दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए थे। केशरवानी के नजदीकी और एलआईसी एजेंट राकेश छावड़ा के यहां भी छापामार कार्रवाई की गई थी। हालांकि यहां से कुछ खास नहीं मिला।
लेकिन जो फॉर्च्यूनर कार राजेश केशरवानी के यहां से मिली है वह राकेश छावड़ा के नाम पर खरीदी गई थी, इसलिए वे भी आईटी की जद में आए थे। बता दें के राठौर, केशरवानी और छावड़ा आपस में बिजनेस साझेदार रहे हैं।
साभार नवभारत टाइम्स
सागर
इनकम टैक्स विभाग को बीजेपी नेताओं के घर मिली अकूत बेनामी संपत्ति!
- 08 Jan 2025