टिकट कटते ही खंडवा में नंदू भैया के बेटे घर बैठे, सतना में पूर्व मंत्री बागरी का परिवार भी भाजपा से हुआ बागी
भोपाल। मध्य प्रदेश उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अब पार्टियों में बगावत होने लगी है। सबसे बड़ा झटका बीजेपी को लगा है। रैगांव सीट पर पूर्व विधायक जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद सियासी विरासत संभाल रहे बेटे पुष्पराज और छोटे बेटे देवराज की पत्नी वंदना पार्टी उम्मीवार के खिलाफ चुनाव मैदान में उतर गए। खंडवा में भी नंदकुमार के बेटे हर्ष भी घर बैठ गए। इधर, जोबट और पृथ्वीपुर में बाहरियों को टिकट देना भाजपा के लिए मुसीबत बन गया है। वहीं, कांग्रेस में भी बगावत शुरू हो गई।
बीजेपी के एक नेता ने कहा कि संगठन ने दमोह चुनाव से सबक नहीं लिया। यहां पूर्व मंत्री जयंत मलैया व उनके बेटे सिद्धार्थ ने बगावती रुख अख्तियार कर लिया था। परिणाम यह हुआ कि पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। चुनाव के बाद सिद्धार्थ को पार्टी से निष्कासित करने के साथ जयंत मलैया को नोटिस दिया गया। पार्टी यदि चुनाव के दौरान मलैया की नाराजगी को दूर कर देती, तो दमोह जीतने की संभावना पूरी थी।
सतना जिले के रैगांव में पुष्पराज को भरोसा था कि टिकट उन्हें ही मिलेगी। इस वजह से उनके परिवार में ही अंतर्विरोध शुरू हो गया था। पुष्पराज के भाई देवराज ने अपनी पत्नी वंदना को टिकट दिलाने का दावा कर दिया था। इतना ही नहीं, पुष्पराज ने बैठकें भी शुरू कर दी थीं, लेकिन पार्टी ने जिला महामंत्री प्रतिमा रावत को मैदान में उतार दिया।
बीजेपी सूत्रों ने बताया कि पार्टी ने टिकट के मामले में परिवारवाद के खिलाफ जाने की जानकारी रायशुमारी के दौरान स्थानीय नेताओं तक को नहीं दी थी। दरअसल, पार्टी को लगता था कि ऐसे में विपक्षी दल सेंधमारी करेगा। इससे बचने के लिए टिकट घोषित होने के एक दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बयान देकर सिर्फ संकेत दिए थे। गौर करने वाली बात यह है कि शिवराज का बयान भी तब आया, जब कांग्रेस अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी थी।
बीजेपी को पहले ही दे दी थी चेतावनी
बीजेपी ने रैगांव सीट के लिए कैंडिडेट को लेकर सर्वे भी कराया था। इसमें स्थानीय नेता बागरी परिवार में से किसी को टिकट देने के पक्ष में नहीं थे। इसके बाद ही पार्टी ने प्रतिमा रावत के नाम का विचार किया। प्रदेश संगठन की रिपोर्ट के बाद ही हाईकमान ने प्रतिमा के नाम पर मुहर लगाई थी। हालांकि, इसका अंदेशा पुष्पराज बागरी को हो गया था, इसलिए उन्होंने कहा था- यदि टिकट नहीं मिला, तो निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। पिता की फोटो हाथ में लेकर वोट मांगेंगे।
टिकट घोषित होने तक स्वस्थ्य थे हर्ष सिंह, अब कोविड टेस्ट कराया
खंडवा लोकसभा सीट पर बीजेपी से हर्ष सिंह को टिकट मिलने की उम्मीद थी। पिछले एक माह से स्थानीय नेता भी ऐसा मानकर हर्ष के लिए चुनावी रणनीति बना रहे थे, लेकिन परिवारवाद का हवाला देकर उन्हें रेस से बाहर कर दिया। दरअसल, पार्टी ओबीसी कार्ड खेलना चाहती थी, इसलिए ज्ञानेश्वर पाटिल पर दांव लगाया गया। पार्टी को अंदेशा था कि हर्ष की नाराजगी सामने आएगी। ऐसे में उनके समर्थक चुनाव से दूरी बना लेंगे। इसे देखते हुए ही कहा गया कि नंदकुमार सिंह चौहान के कट्?टर समर्थक को टिकट दिया गया है। बताया जाता है कि टिकट घोषित होने तक हर्ष स्वस्थ थे, लेकिन बाद में उन्होंने कोविड की आशंका जताते हुए उम्मीदवार के नामांकन दाखिले में शामिल नहीं हुए। पार्टी पदाधिकारी पिछले 3 दिन से हर्ष से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन बात नहीं हो पाई।
जोबट सीट से कलावती भूरिया के भतीजे ने भरा फॉर्म
इधर, कांग्रेस में भी दावेदारों ने टिकट नहीं मिलने पर बगावती तेवर दिखाना शुरू कर दिया है। पूर्व राज्य मंत्री और जोबट से कांग्रेस की पूर्व विधायक सुलोचना रावत और उनके बेटे विशाल रावत के भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी में विरोध शुरू हो गया। कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ हंगामा किया, कुछ ने तो उनके सामने इस्तीफे रख दिए। उन्होंने कहा- क्या अब आप बाहर से कार्यकर्ताओं को बुलाओगे। आलीराजपुर जिले की जोबट विधानसभा सीट से पूर्व विधायक कलावती के भतीजे दीपक भूरिया ने निर्दलीय पर्चा जमा कर दिया है। बीजेपी से सुलोचना रावत तो वहीं कांग्रेस से महेश पटेल मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। समर्थकों के साथ आतिशबाजी करते हुए दीपक भूरिया अपना नामांकन फॉर्म भरने पहुंचे थे। दीपक भूरिया ने कहा कि स्व. कलावती भूरिया के सम्मान में चुनाव लड़ूंगा।
भोपाल
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- 09 Oct 2021