इंदौर। बारिश के दौरान हादसों को देखते हुए नगर निगम की अति खतरनाक मकानों को तोडऩे की कार्रवाई ठंडे बसते में चली गई है। एक माह के अंतराल में निगम ने 175 में से सिर्फ 15 खतरनाक मकान ढहाने का काम किया है, जबकि अभी भी शहर में कई स्थानों पर जर्जर मकान खरता बने हुए हैं।
बारिश शुरू होते ही हर साल जर्जर मकान गिरते हैं, जिनसे जान-माल को नुकसान का खतरा बना रहता है। निगम ने सभी 19 जोन के बिल्डिंग आफिसर (बीओ) और बिल्डिंग इंस्पेक्टर (बीआइ) की मदद से हर क्षेत्र का सर्वे पूरा कराया है। बीते एक माह के अंतराल में निगम ने 175 में से सिर्फ 15 खतरनाक मकान ढहाने का काम किया है, जबकि अभी भी शहर में कई स्थानों पर जर्जर मकानों के रूप में खतरा कायम है। सवाल यह भी उठ रहा है कि बारिश से पहले कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है।
धीमी गति से चल रहा अभियान
सूची के बाद अब खतरनाक मकान तोडऩे का अभियान धीमी गति से चल रहा है। इनमें कई मकान ऐसे हैं, जो हर साल सूची में शामिल किए जाते हैं, लेकिन वहां कार्रवाई विभिन्न कारणों से टाल दी जाती है। कुछ जगह विवाद की स्थिति होने के चलते निगम झमेले में नहीं पड़ रहा है। इसी के चलते खतरनाक मकानों को तोडऩे का मामला अटका हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि कुछ जगह स्थिति विवादित होने के चलते कार्रवाई से पहले आला अधिकारियों से चर्चा की जाती है और उसके बाद ही प्रकरण लगाए जाते हैं। अधिकारियों के मुताबिक अब तक मिल्लतनगर, गाड़ी अड्डा, बियाबानी, सिलावटपुरा, छीपा बाखल, कंडीलपुरा, नीलकंठ कालोनी, पारसी मोहल्ला, बड़ी ग्वालटोली, लोहारपट्टी, मल्हारगंज सहित अन्य स्थानों पर कार्रवाई कर अतिखतरनाक मकानों को ढहाने का काम किया जा चुका है।
इंदौर
एक माह में 15 खतरनाक मकान पर हुई कार्रवाई, सूची बनाई तो मिले थे 175 जर्जर मकान
- 04 Aug 2021