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भोपाल

एमपी की जनता ने चुनाव में राजघरानों को नकारा, पिछली बार पूर्व रियासतों से 14 विधायक बने थे, इस बार 9 सदस्य जीते

  • 18 Dec 2023

भोपाल। प्रदेश की जनता ने इस बार विधानसभा चुनाव में राजघरानों से चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों को नकार दिया है। पिछले चुनाव में 14 पूर्व रियासतों के सदस्य विधायक चुने गए थे। 2023 के चुनाव में ये संख्या घटकर 9 रह गई है। 9 में से 6 दोबारा विधायक बने हैं। 3 में से दो पिछला चुनाव हार गए थे, इस बार फिर जीते हैं। एक विधायक ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया है।
इस बार चुनाव जीतने वाले राजपरिवार के सदस्यों में से 6 भाजपा और 3 कांग्रेस से हैं। 2018 के चुनाव में जो 14 सदस्य चुनाव जीते थे, उनमें से 7 हार गए और एक को टिकट नहीं मिला।
मध्यप्रदेश की 16वीं विधानसभा का पहला सत्र 18 दिसंबर से शुरू होने वाला है। इस बार विधानसभा में पुराने और नए चेहरों के साथ वो चेहरे भी नजर आने वाले हैं, जो राजपरिवारों से जुड़े हैं और सियासत में रियासत की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।  पुष्पराज सिंह रीवा से 1990 से 2003 तक लगातार तीन बार विधायक रहे। अब दिव्यराज रीवा जिले की सिरमौर सीट से तीसरी बार विधायक का चुनाव जीते हैं।
 गायत्री राजे ने संभाली पति की विरासत-
तुकोजीराव पवार के निधन के बाद गायत्री राजे पवार ने 2015 में पहला उपचुनाव लड़ा था। इसमें उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश शास्त्री को हराया। इससे पहले तुकोजीराव पवार 1993 से 2015 तक देवास से विधायक रहे। दो बार कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। गायत्री राजे तीसरी बार विधायक बनी हैं। गायत्री राजे ग्वालियर के महाडिक परिवार की बेटी हैं, जो सदियों से सिंधिया परिवार का खास रहा है।
 विजय शाह ने हरसूद से लगातार 8वां चुनाव जीता
खंडवा जिले की इस रियासत का इतिहास 700 साल से भी ज्यादा पुराना है। यहां के आखिरी राजा देवी शाह थे। देवी शाह के मंझले बेटे विजय शाह ने 1990 में हरसूद से पहला चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे लगातार इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं। शिवराज कैबिनेट में मंत्री भी रहे। 8वीं बार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं।
 विक्रम सिंह दूसरी बार विधायक
सतना जिले की रामपुर बघेलान सीट बाघेला राजवंश की रियासत में आती है। इस रियासत के महाराज गोविंद नारायण सिंह 1967 से 1969 तक एमपी के सातवें मुख्यमंत्री रहे। गोविंद सिंह के पांच बेटों में से एक हर्ष सिंह रामपुर बघेलान से 2018 तक विधायक रहे। 2018 में हर्ष सिंह के बेटे विक्रम सिंह को भाजपा ने टिकट दिया। 2023 में विक्रम सिंह दूसरी बार यहां से विधायक बने हैं।
नागेंद्र सिंह भाजपा के उम्रदराज विधायकों में से एक
नागौद के आखिरी महाराज महेंद्र सिंह थे। महेंद्र सिंह के बेटे नागेंद्र सिंह 1977 में पहली बार विधायक चुने गए। कैबिनेट मंत्री रहे नागेंद्र सिंह खजुराहो से सांसद भी रहे हैं। 2018 के बाद 2023 का चुनाव भी जीते। पहले नागेंद्र सिंह ने उम्र का हवाला देते हुए चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था लेकिन बयान देने के 24 घंटे बाद उनके सुर बदल गए। कहा- मेरे चुनाव लड़ने, न लड़ने का फैसला पार्टी करेगी।
 जयवर्धन ने संभाली पिता की विरासत, तीसरी बार विधायक
जयवर्धन सिंह उस राघौगढ़ रियासत से आते हैं, जो एमपी की राजनीति में लंबे समय से सक्रिय है। 1673 में राघोगढ़ रियासत के राजा खिची वंश के राजपूत लाल सिंह थे। रियासत के 11वें राजा बलभद्र सिंह के बाद उनके बेटे और मप्र के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह रियासत के राजा बने।
1969 में दिग्विजय सिंह राघोगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष और 1977 में पहली बार विधायक बने। 1993 से 2003 तक वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे। दिग्विजय के बेटे जयवर्धन 2013 से लगातार विधायक हैं।
 अभिजीत ने अपने ही चाचा को मात दी
खंडवा जिले की इस रियासत के आखिरी राजा देवी शाह के 4 पुत्र थे। अजय, विजय, धनंजय और संजय शाह। अभिजीत सबसे बड़े बेटे अजय शाह के बेटे हैं। अभिजीत ने अपने चाचा संजय शाह को 2023 के चुनाव में 950 वोट से हराया है। इन दोनों का मुकाबला 2018 में भी हुआ था, तब अभिजीत 2213 वोट से चुनाव हार गए थे।
अजय सिंह एक बार फिर चुनाव जीत गए
सीधी जिले के चुरहट राजघराने के आखिरी महाराज राजा शिव बहादुर सिंह थे। पुत्र अर्जुन सिंह 1980 में मुख्यमंत्री बने। लगातार चुनाव जीतते रहे। 1988 में दोबारा मुख्यमंत्री बने। केंद्रीय मंत्री भी रहे। साल 2011 में राज्यसभा सदस्य रहते हुए उनका निधन हो गया था।
उनके पुत्र अजय सिंह 1985 में विधायक बने। दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे। चुरहट से 6 बार विधायक रहे हैं। दिग्विजय सिंह सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2017 से 2018 तक नेता प्रतिपक्ष रहे हैं। 2018 का चुनाव हार गए थे। इस बार जीत मिली है। इनकी कुल संपत्ति 39 करोड़ 86 लाख 37 हजार 110 रुपए है।
 प्रियव्रत 20 साल की उम्र से राजनीति में हैं
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर राजघराने का राजनीति में दखल है। प्रियव्रत सिंह 2003 से 2013 तक लगातार 2 बार खिलचीपुर से विधायक रहे। 2018 से 2023 तक भी विधायक रहे हैं। महज 20 साल की उम्र में निर्विरोध जिला पंचायत सदस्य बन गए थे। इस बार हार का सामना करना पड़ा है। 2023 में प्रियव्रत ने कुल 10 करोड़ 52 लाख की संपत्ति बताई है।
दत्तीगांव को शेखावत ने हरा दिया
बख्तावर सिंह के वंशज राजवर्धन सिंह दत्तीगांव 2018 में कांग्रेस के टिकट पर तीसरी बार विधायक बने। कमलनाथ सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से भाजपा में आए तो दत्तीगांव भी इस्तीफा देकर भाजपा में आ गए। भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीते। इस बार हार का सामना करना पड़ा। इनकी कुल संपत्ति 17 करोड़ 22 लाख रुपए है।