पढ़ी लिखी है कमा लेगी जैसे पति के तर्क कोर्ट ने खारिज किए
इंदौर। इंदौर के कुटुम्ब न्यायालय ने पत्नी को 12 हजार रुपए भरण पोषण के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने पति के उस तर्क को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि पत्नी पढ़ी लिखी है और खुद कमा सकती है। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि भरण पोषण कानून का उद्देश्य आवारागर्दी और निराश्रिता को रोकना है। यह कानून सामाजिक न्याय का उपाय है और महिला एवं बालकों को संरक्षण देता है।
पीड़िता पत्नी के वकील कृष्ण कुमार कुन्हारे और डॉ. रूपाली राठौर ने बताया कि एयरपोर्ट निवासी पीड़िता पत्नी का विवाह 2017 में परदेशीपुरा क्षेत्र के युवक से हुआ था। शादी के बाद से ही ससुरालजनों ने उसे और उसके पति के वैवाहिक संबंध में अनावश्यक दखल देना शुरू कर दिया। बैडरूम के पास ही लगे हाल में टीवी देखने के बहाने ससुर बैठा रहता था। पति को दरवाजा खोलकर सोने की हिदायत देता था तथा कमरे में पीड़िता व उसके पति के द्वारा क्या खाने-पीने की वस्तु लायी जा रही है उन्हें चेक करता था व ससुर द्वारा पीड़िता के नये बेडरूम में भी ताका-झांकी करता था। पीड़िता के वकील ने दलील दी कि पीड़िता महिलाओं संबंधी बीमारी से ग्रसित है और डिप्रेशन की शिकार है। ससुराल वालों के अत्याचारों से परेशान होकर ही पति से अलग रह रही है। एवं पीड़िता के पास मात्र शैक्षणिक डिग्री होने एवं पढ़ी लिखी होने के आधार पर उसे भरण पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता है।
इंदौर
एमबीए पास पत्नी को देना होगा भरण पोषण
- 12 Mar 2024