तीन माह से नहीं मिल रही दवाइयां, जिम्मेदार खामोश
इंदौर। प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल एमवाय के हाल इन दिनों बेहाल हैं। कांग्रेस सरकार के आने के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों ने प्रदेश के गरीब मरीजों की ओर ध्यान देना बंद कर दिया है। इधर एमवाय की ओपीडी में पिछले तीन माह से 25 पैसे की गोली नहीं है, वहीं कई दवाओं का अभाव है। डॉक्टर मरीजों का इलाज करें तो कैसे करें। सबसे ज्यादा चर्मरोग विभाग के मरीज परेशान हैं जो महंगी दवा बाजार से नहीं खरीद सकते। इन दिनों में चर्मरोग के साथ वायरल व अन्य बीमारियां भी चरम पर हैं। शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण से चर्म रोगियों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है।
अस्पताल की ओपीडी में तीन से चार हजार मरीज प्रतिदिन पहुंच रहे हैं, जिसमें 600 से 700 रोगी हैं। चर्मरोग में खुजली की सिटीजन टैबलेट जो 25 पैसे की आती है वह तीन माह से नहीं है। वहीं खुजली की दूसरी दवा भी नहीं है। इधर फोड़े-फुंसी की सोफ्रेमायसिन ट्यूब भी महीनों से नहीं है। फंगस में आने वाली दो दवाएं जिसमें कैप्सूल भी है वह भी नहीं है। इधर एंटी एवलर्जिक सैमयुरल फोर्ट का स्टाक भी समाप्त है। यही हाल अन्य विभागों का है, जहां दवाइया मौजूद नहीं हैं। डॉक्टरों की यह मजबूरी है कि मरीजों का इलाज बिना दवाइयों के कैसे करें। अगर बाहर की दवा लिखते हैं तो वह इतनी महंगी है कि मरीज यह दवा खरीद नहीं सकता। गरीब मरीज शासकीय अस्पताल में इसलिए पहुंचता है ताकि उसका माकूल इलाज हो सके, लेकिन चिकित्सा शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अन्य कामों पर तो करोड़ों खर्च कर रहे हैं, लेकिन जनता की मलूभूत सुविधाओं को दरकिनार भी कर रहे हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस सरकार बदनाम हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन मैदानों में भाजपा समर्थक हैं और वह नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस सरकार में गरीब मरीजों का इलाज माकूल हो।
इस विभाग के हैं बुरे हाल
मेडिसिन विभाग में भी इन दिनों वायरल सर्दी -जुकाम, खांसी व अन्य बीमारियों के मरीज पहुंच रहे हैं, जिनकी संख्या सैकड़ों में है लेकिन यहां पर दवाइयों का अभाव है। दवाइयों और फार्मासिस्ट की कमी की वजह से मेडिसिन विभाग का दवा काउंटर बंद कर दिया गया है। अब सिर्फ पर्ची काउंटर के पास ही दवाएं कक्ष में मिलती हैं, जहां मरीजों की कतार लगी रहती है, लेकिन डॉक्टर द्वारा चार दवा लिखने पर वहां एक दवा उपलब्ध होती है।
यह डॉक्टर भी हैं परेशान
सर्जरी विभाग के डॉक्टरों का कहना है कि हम उन इंजेक्शनों से परेशान हैं जो अस्पताल में मौजूद नहीं हैं। अब हम मरीज का कैसे इलाज करें। दर्द से कराहते मरीज को हम सिर्फ समझाइश ही देते हैं और समय आने पर बाहर से भी दवा और इंजेक्शन भी मंगवाते हैं लेकिन सरकार को चाहिए कि इतने बड़े अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए दवायिों का पूरा इंतजाम किया जाए।
राज्य
एमवाय अस्पताल में दवाइयों का टोटा
- 12 Jan 2020