हमारा देश विचित्र परंपराओं और संस्कारों को जीने वाला देश है... यहां अनेक धर्म और एक राष्ट्र का संदेश दिया जाता है... सर्वधर्म समभाव का भी संदेश दिया जाता है... यह देश की हजारों साल की रीति और नीति को प्रतिपादित करता है... धर्म और त्योहारों के कारण विदेशों में भारत की साख त्योहारों वाले देश की बनी है... देश के बाहर जो लोग रह रहे हैं... वहां जात-पात के आधार पर नहीं रहते हैं... वे सिर्फ भारतीय बनकर रहते और यहां के त्योहारों को...उल्लास, उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं...!
हमारे देश का राजनीतिक वातावरण अनेक काल में परिस्थितिजन्य रहा है... देश में अन्य तर्कों के साथ यह भी कहा जाता है कि... देश में अशिक्षा के कारण अपराध जगत फलता –फूलता रहा है... कुछ अपराध जानबूझकर किए जाते हैं...कुछ घटित हो जाते हैं... और कुछ लापरवाही से भी घटना घटित होती है...! अन्य के अलावा हम बात करेंगे... लापरवाही से घटित अपराध.... इसमें यह माना जाता है कि अपराध की मानसिकता नहीं थी... लेकिन लापरवाही से जो अपराध हुआ है... उसका अपराध बोध हो...और प्रायश्चित भी हो तो शायद अपराध हो जाने का मलाल कम होगा... हाल ही में एक बस दुर्घटना हुई... मेरा ऐसा मानना है कि कोई भी ड्राइवर जानबूझकर...( अपवाद को छोड़कर ) घटना को अंजाम नहीं देना चाहेगा... क्योंकि उसके खुद की जान भी जोखिम में रहती है... और दुनिया में खुद की जान की परवाह आदमी को सबसे अधिक होती है...खैर यह लेख लिखने की आवश्यकता ...इस लिए हुई की... इस घटना में लापरवाही का पुटअधिक दिखाई देता है... क्योंकि इसकी सजा के लिए... शायद भारत के इतिहास में... अदालतों के इतिहास में... अदालतों ने इस तरह के दिलचस्प फैसला नहीं सुनाया गया होगा... आप कल्पना करें... अभी तक अंतिम सांस तक की जेल सजा का सुना था... फांसी की सजा अधिकतम सुना है... लेकिन शायद पहली बार... न्यायालय के दिलचस्प फैसले पर चिंतन करना पड़ा... क्योंकि अदालत ने इस फैसले में निर्णय दिया है... और अपराधी को 190 साल की सजा सुनाई है... !
कुछ 6 साल पहले पन्ना में बस ड्राइवर की लापरवाही से... गलती से 19 लोगों की मौत हो गई थी... अदालत ने इसे एक अपराध मानते हुए हर मौत के लिए फैसला दिया... और एक मौत की 10 साल की सजा सुनाई अर्थात 19 लोगों की मौत की कुल सजा 190 साल की सुनाई है... यह घटना देश के इतिहास में लिखाई जाने वाली घटना है... अपराध और अदालत की सजा के लिए भी चर्चा और उदाहरण दिया जावेगा... इस अपराध में ड्राइवर तो मुख्य आरोपी था ही सही... साथ ही अदालत ने बस मालिक को भी 10 साल की सजा सुनाई है...शायद ही कोई देश या केस हो जिसमें इस तरह का फैसला सुनाया हो... लेकिन मानवीय संवेदना को अदालत ने महसूस किया होगा... वह 19 लोग जो बस में सफर कर रहे थे... ड्राइवर की लापरवाही की वजह से मौत के आगोश में समा गए... कहा जाता है कि ड्राइवर को लापरवाही बरतने से रोका भी गया था... लेकिन उसने किसी की ना सुनी... उनका दोष क्या था... जो बस में सफर कर रहे थे... उनके परिवार में कैसे वेदना रही होगी... कैसे परिवार वालों ने इस दुर्घटना को या घटना को सहन किया होगा... परिवार सालों इस घटना से ऊभर नहीं पाएगा... एक व्यक्ति की लापरवाही का परिणाम... 19 परिवारों को भुगतना पड़ा... समय के भाल पर यह घटना निश्चित रूप से अनोखी होगी... और फैसले ने भले ही अपराधी और उसके साथी बस मालिक को भी सजा दी... फिर भी एक अहम प्रश्न हमारे जेहन में कौंधता रहेगा ...कि किसकी लापरवाही... किसके लिए मौत का साधन बन गई... परिवार के परिवार पीड़ित हुए... और भाग्य को कोस कर जीवन जीने के लिए मजबूर हो गए... जो काल के गाल में समा गए... वे अपने पीछे परिवारों के लिए आपदा और कष्ट को छोड़ गए... सजा 190 या 1900 साल भी होती तो भी... वे परिवार आने वाली कई पीढ़ियों के लिए अंधकार में जीवन जीने को मजबूर होंगे...?
अन्ततः हमने यह सोचा जरूर कि... क्या ऐसा भी हो सकता है...कि किसी को लापरवाही की सजा... क्या 190 साल हो सकती है...?
( एल एन उग्र )
विविध क्षेत्र
ऐसा भी हो सकता है...? बस ड्राइवर की लापरवाही़... सजा 190 साल की...!
- 10 Jan 2022