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भोपाल

ओबीसी को 14% आरक्षण देकर शुरू हो सकती है पोस्टिंग, बाकी 13% कोर्ट के फैसले के बाद

  • 29 Sep 2022

भोपाल । मप्र सरकार ने सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किए का मामला हाई कोर्ट में लंबित है। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (पीएससी) की पिछले तीन साल से भर्तियां रुकी हुई है। अब इन भर्तियों का रास्ता जल्द निकलने की उम्मीद है।
सरकार का प्रयास है कि जब तक हाई कोर्ट का फैसला नहीं आता, तब तक 87 फीसदी रिजल्ट घोषित कर दिया जाए। इसमें ओबीसी को फिलहाल 27 फीसदी में से 14 आरक्षण दिया जा सकता है, जिसमें ओबीसी को फिलहाल 27 में से 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। बाकी 13 प्रतिशत आरक्षण कोर्ट का फैसला आने दे दिया जाएगा। इस मामले में कानूनविदों और सरकार के आला अफसरों के बीच चर्चा हो चुकी है।
आगे जल्दी ही क्रियान्वयन की रूपरेखा तय की जा रही है ताकि जल्दी ही रिजल्ट घोषित कर पोस्टिंग की जा सकें। उल्लेखनीय है राज्य सेवा परीक्षा के जरिए ली गई राज्य सेवा परीक्षा के अलावा अन्य राजपत्रित पदों की 4052 पदों की ली गई परीक्षाओं के रिजल्ट रुके हुए हैं।
हाईकोर्ट में मप्र सरकार के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह का कहना है कि पीएससी के द्वारा परीक्षा परिणाम घोषित किया जाना है और कोर्ट में रिजल्ट को लेकर मामला कोर्ट में चल रहा है। लेकिन तीन सालों से परीक्षा परिणाम रुके हुए हैं इसलिए छात्रों के हित भी सर्वोपरि हैं।
परीक्षाएं होती गई, रिजल्ट रुकते गए
पीएससी 2019 की प्रारंभिक परीक्षा 12 जनवरी 2020 को ली गई थी, जिसके नतीजे 21 दिसंबर 2020 को घोषित किए गए। इसके बाद मुख्य परीक्षा 21 मार्च 2021 और 26 मार्च 2021 को ली गई, जिसके परीक्षा परिणाम 31 दिसंबर 2021 को घोषित किए गए। पीएससी 2020 की प्रारंभिक परीक्षा 25 जुलाई 2021 को घोषित हुई, जिसके परिणाम 15 जनवरी 2022 को घोषित किए गए। मुख्य परीक्षा 23 अप्रैल और 29 अप्रैल 2022 को हुई है जिसका मूल्यांकन चल रहा है। इन परिक्षाओं के साक्षात्कार न होने से साक्षात्कार के परीक्षा परिणाम घोषित नहीं हुए हैं। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन होने की वजह से चयन प्रक्रिया रुकी हुई है।
यह है 27 प्रतिशत आरक्षण में यह है पेंच
इंदिरा साहनी एवं अन्य बनाम केंद्र सरकार (यूनियन ऑफ इंडिया) मामले में सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए जाति आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय कर दी है। इसके बाद देश और राज्यों द्वारा लागू कानून जाति आधारित आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं की जा सकती।
यह फैसला इसलिए ऐतिहासिक माना जाता है जिसने जातिगत आरक्षण की सीमा तय कर दी थी। क्योंकि राजनीतिक कारणों से आरक्षण बढ़ता ही जा रहा था। यह फैसला 9 जजों की लार्जर बेंच ने दिया था। इस फैसले के बाद अनेक बार इस फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर पुनर्विचार से इंकार कर दिया। इधर, मप्र सरकार ने सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण लागू किए जाने का प्रावधान कर चुका है, जिससे मप्र में पहले से लागू आरक्षण का प्रतिशत 73 प्रतिशत हो गया है।
हाई कोर्ट में 63 आवेदन
राज्य सेवा 2019, 2020 और 2021 की मप्र लोकसेवा आयोग द्वारा ली गई परिक्षाओं के जरिए 1300 पदों पर भर्तियां होना है, लेकिन ओबीसी के 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के विरोध में हाईकोर्ट में 63 आवेदन लगे हुए हैं, जिनमें राज्य सरकार द्वारा लागू आरक्षण पर विरोध दर्ज कराया गया है।