इंदौर। दो साल बाद होने जा रही पीएचडी के लिए डाक्टरल एंट्रेंस टेस्ट (डीईटी) को लेकर अगले कुछ दिनों में फैसला हो सकता है। संक्रमण के नए वैरिएंट ओमिक्रोन ने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (देअवीवी) की चिंताएं बढ़ा दी है। इसके चलते प्रवेश परीक्षा पर संकट खड़ा होने लगा है। ज्यादा अधिकारी विद्यार्थियों को देखते हुए परीक्षा आगे बढ़ाने का सुझाव दे चुके है। अब जल्द ही इसे लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन बैठक बुला सकता है। माना जा रहा है कि परीक्षा से जुड़े मुद्दों पर निर्णय लिया जा सकता है, क्योंकि उम्मीदवार कम होने से आफलाइन परीक्षा करवाई जा सकती है। मगर इसे लेकर छात्र संगठन आपत्ति उठा सकते है।
2019 के बाद विश्वविद्यालय ने पीएचडी में प्रवेश नहीं दिया है। पिछले महीने विश्वविद्यालय ने संक्रमण की स्थिति को देखते हुए डीईटी को लेकर तैयारियां शुरू की। विभागों से खाली सीटों की जानकारी बुलवाई। 31 विषय में 800 सीटें खाली है, जिसमें मैनेजमेंट और कामर्स विषय की सबसे ज्यादा सीटें है। कुछ नए गाइड भी बनाए गए। कुछ विभागों से जानकारी आना बाकी है। इसके चलते अभी तक प्रवेश परीक्षा को लेकर रजिस्ट्रेशन भी शुरू नहीं हुए और न परीक्षा की तारीख तय हुई। दिसंबर में ओमिक्रोन से संक्रमित मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। तीसरी लहर की आशंका को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार अभी से सतर्क है। लोगों को सावधानियां बरतने की सलाह दे रही है। साथ ही कुछ पाबंदी लगाई गई है। ऐसे में विश्वविद्यालय को परीक्षा करवाना थोड़ा मुश्किल नजर आ रहा है। प्रभारी रजिस्ट्रार अनिल शर्मा का कहना है कि जल्द ही डीईटी को लेकर फैसला लिया जाएगा। इसके लिए बैठक बुलाई है।
जनवरी में भी आसार नहीं
800 सीटों के लिए विश्वविद्यालय ने अभी तक रजिस्ट्रेशन यानी आवेदन नहीं मांगवाए है। इसकी तारीख भी घोषित नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक 15 दिसंबर बाद रजिस्ट्रेशन की लिंक खुल सकती है। आवेदन के लिए कम से कम 25 दिन का समय देना होगा। फिर दस-पंद्रह दिन के बीच परीक्षा करवाई जा सकती है। इस दौरान संक्रमण बढ़ सकता है। परीक्षा करवाना मुश्किल है। परिस्थिति को देखते हुए जनवरी में भी डीईटी के आसार कम नजर आ रहे है।
इंदौर
ओमिक्रोन को लेकर में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा पर संकट
- 07 Dec 2021