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भोपाल

ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग ने बढ़ाई सरकार की टेंशन

  • 07 Feb 2023

भोपाल। प्रदेश में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग को लेकर एक बार फिर कर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया है। चूंकि कांग्रेस शासित पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पुरानी पेंशन स्कीम लागू कर दी गई है। लिहाजा चुनावी साल होने से मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार भी दबाव में है।
परेशानी इसलिए भी बढ़ गई है, क्योंकि ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू करने की मांग को लेकर कर्मचारी संगठनों ने 5 फरवरी को भोपाल के भेल दशहरा मैदान पर बड़ा धरना प्रदर्शन किया। यहां कर्मचारी संगठनों ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुए एक महीने का समय दिया है। उनका कहना है कि सरकार इसे नहीं मानेगी तो हम सरकार बदलने का काम शुरू कर देंगे। कर्मचारी संगठन चुनावी साल का लाभ उठाते हुए आरपार की लड़ाई के मूड में है। पिछले साल 13 से 29 सितंबर तक शिक्षकों ने पुरानी पेंशन स्कीम की मांग को लेकर धरना दिया था।
एमपी में अपने ही विधायकों की बगावत के कारण सरकार खो चुकी कांग्रेस हर वर्ग को ललचाने में लगी है। ऐसे में इतने बड़े कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए कांग्रेस ने वादा कर लिया है कि अगर वो सरकार में आती है तो पुरानी पेंशन स्कीम लागू करेगी। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय बंधु कहते हैं कि यदि सरकार इस समय सीमा में निर्णय नहीं ले पाती है तो कर्मचारी सरकार बदलने का काम करेंगे। जानते हैं क्यों कर्मचारी मांग रहे हैं पुरानी पेंशन स्कीम और क्यों है नई पेंशन स्कीम से ऐतराज।
मप्र सरकार यदि राजस्थान की गहलोत सरकार की तर्ज पर पुरानी पेंशन योजना को लागू करती है तो 12 साल तक आर्थिक बोझ नहीं आएगा, बल्कि उसे प्रदेश के 3.35 लाख कर्मचारियों के अंशदायी पेंशन के तहत हर माह 14त्न की हिस्सेदारी करीब 344 करोड़ रुपए की फिलहाल बचत होगी। कैसे होगा ये सब जानिए पूरा गणित। 1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में 3.35 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम 1972 के दायरे में नहीं आते हैं। 2.87 लाख अध्यापक, जो 2008 में टीचर बने। जिन पर न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू है। प्रदेश में जिन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलना है, उनसे ज्यादा संख्या नई पेंशन स्कीम वालों की है, क्योंकि करीब डेढ़ लाख संविदाकर्मी भी नियमितिकरण की मांग कर रहे हैं।