अनुभव से जब तुम कुछ सीखते हो, तो ज्ञान निर्मित होता है और अनुभव को जब तुम दोहराये चले जाते हो, तो मूढ़ता और जड़ता निर्मित होती है। दुनिया में बहुत कम लोग हैं, जो अनुभव से सीखते हैं। अनुभव से जो सीख ले, वही समझदार है।
एक दिन क्रोध किया, दूसरे दिन क्रोध किया, हजार बार क्रोध किया, अब तक सीखा नहीं! इतने बार क्रोध करके पाया कि कुछ भी नहीं मिलता, तो अब तो रुको! अब तो जाने दो- इस क्रोध को। अगर हजार बार क्रोध करके भी तुमने इतनी सी बात सीख ली कि क्रोध में कुछ सार नहीं, तो वे हजार बार का क्रोध भी तुम्हें बहुत कुछ दे गये, वे भी व्यर्थ न गये, उससे भी तुमने कुछ निचोड़ लिया, कुछ इत्र उनसे भी निचोड़ लिया। अब तुम क्रोध से मुक्त हो जाओ।
हजार बार काम-वासना में उतरे और कुछ भी न पाया, तो अब जाओ। और फर्क समझ लेना, मैं यह नहीं कह रहा हूं कि काम-वासना को त्यागो। मैं कह रहा हूं- जागो...
चिंतन और संवाद
OSHOकहिन : मैं कह रहा हूं- जागो
- 31 Dec 2019