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होशंगाबाद

कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता सहित 5 को 6 माह की जेल

  • 19 Nov 2021

20 साल पहले इटारसी थाने में किया था पथराव, अपील केस में मिली सजा, भेजा जेल
होशंगाबाद। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार के कार्यकाल के दौरान होशंगाबाद जिले के इटारसी थाने में हुए पथराव के मामले में कोर्ट में फैसला आया। 20 साल पुराने बलवा और शासकीय मामले में कांग्रेस के प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार उपाध्याय सहित 5 आरोपियों को 6 माह की जेल की सजा इटारसी कोर्ट ने दी है। पांचों आरोपियों को कोर्ट के फैसले के बाद होशंगाबाद केंद्रीय जेल भेजा गया। आरोपियों में प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजकुमार (केलू) उपाध्याय के अलावा, अमोल उपाध्याय, कन्हैया गोस्वामी, अंशुल सहगल व पूर्व पार्षद राजेश धारू हैं।
इस केस में 8 आरोपी थे, जिसमें जग्गा उर्फ जगदीश कडारे, टीटू उर्फ संजय सहगल और सुनील यादव की पूर्व में मौत हो चुकी है। 5 साल से चल रहे अपील केस का फैसला गुरुवार को आया। चार आरोपी कोर्ट में मौजूद थे। परिसर में समाज व पार्टी के उनके समर्थक इक_े थे। छह माह की सजा होते ही कुछ समर्थक द्वितीय सेशन न्यायाधीश सविता जडिया के समक्ष पहुंच गए और हाथ जोड़कर सजा नहीं देने का निवेदन करने लगे। हालांकि कोर्ट ने शासकीय कार्य में बाधा डालने की सजा एक साल से आधी कर छह महीने कर दी थी। अतिरिक्त लोक अभियोजन अधिकारी भूरे सिंह भदौरिया ने बताया कि कोर्ट ने आरोपियों को ज्यूडिशियल रिमांड पर होशंगाबाद जेल भेजने का आदेश दे दिया।
20 साल पहले थाने में किया था बलवा
28 जून 2001 को रात 11.45 बजे आरोपियों ने 12-15 अन्य लोगों के साथ सिटी थाने में आकर शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाकर पथराव किया था। उस दौरान प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार थी। आरोपी एक केस में घायल गुड्डू को मेडिकल के बाद थाने लाए जाने पर मारपीट करने लगे। इसी दौरान पत्थर लगने से सब इंस्पेक्टर डीएस द्विवेदी, हेड कांस्टेबल ओमप्रकाश कांस्टेबल छोटेलाल को चोटें आई। थाने की खिड़की का कांच भी टूट गए। एफआईआर के बाद आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।
5 साल पहले सजा मिलने के बाद की अपील
थाने के पुलिसकर्मियों पर हमला और शासकीय कार्य में बाधा डालने के आरोप में 24 जनवरी 2015 को कोर्ट ने आईपीसी की धारा 332 के तहत आरोपियों को एक वर्ष के कठोर कारावास से दंडित किया था। वहीं आईपीसी की धारा 147 बलवा करने के आरोप में छह-छह माह के कारावास की सजा सुनाई थी। फैसले पर कोर्ट में अपील लगाई गई। तर्क था कि राजनीतिक कारण से उन्हें फंसाया गया है।