Highlights

इंदौर

कांग्रेसी मान रहे वर्षों बाद विधानसभा चुनाव में हम मजबूत ... तीन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस वर्षों से कर रही जीत का प्रयास

  • 15 Sep 2023

उम्मीदवारों ने पूरी ताकत लगा दी, प्रत्याशी बदल दिए, लेकिन नहीं मिली विजय


इंदौर। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में सत्ता की चाबी किसके हाथ में होगी इस फैसले के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। इस बार प्रदेश में लगभग साढ़े पांच करोड़ मतदाता नई सरकार को चुनेंगे। मध्य प्रदेश का चुनाव चरम पर पहुंच चुका है और अब  जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आता जा रहा है दोनों प्रमुख पार्टियों  भाजपा और कांग्रेस भी आक्रामक रूप में आ गए हैं। इस बार कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता मान रहे हैं कि वर्षों बाद प्रदेश में हमारी स्थिति मजबूत हैं। यह इसलिए भी माना जा रहा है कि बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकार बनाई थी और इस बार प्रदेश में बदलाव के संकेत भी मिल रहे हैं।
खैर यह तो प्रदेश स्तर की बात हुई, लेकिन इंदौर जिले की आठों विधानसभाओं में से तीन को देखा जाए तो कांग्रेस को यहां वर्षों से जीत हासिल नहीं हुई है। इन तीन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने एढ़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन पार्टी को विजयश्री प्राप्त नहीं हुई। - विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 में 30 साल, तो - विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 में 33 साल और - विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 में 20 साल से कांग्रेस नहीं जीत पाई है। यह तीनों ही विधानसभा भाजपा के लिए मजबूत मानी जाती है। इस बार कांग्रेस इन तीनों सीटों पर ज्यादा फोकस कर रही है। अब देखते हैं कि यहां के मतदाता किसे पसंद करते हैं।
सत्ता हासिल करने का प्रयास
इन दिनों मध्य प्रदेश में हर तरफ चुनावी शोर सुनाई दे रहा है। 230 विधानसभा सीट पर  होने वाले चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है। भाजपा पांचवीं बार  सरकार बनाने के लिए जोर लगा रही है वहीं कांग्रेस फिर से सत्ता हासिल करने का प्रयास कर रही है। जिस तरह से भाजपा ने पहली सूची जारी करने के बाद जिस तरह से पार्टी में असंतोष फैल रहा है, उसको लेकर भाजपा खेमे में हडक़ंप मचा हुआ है। पार्टी हाई कमान पहले ही कह चुका है घोषित टिकट में कोई फेरबदल नहीं होगा। यह तो वही कहावत हो गई  आ बैल मुझे मारा ।

कांग्रेस अध्यक्ष के सामने चुनौती
7 सालों तक शहर कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभालने वाले वरिष्ठ नेता स्वर्गीय उजागर सिंह चड्डा के पुत्र सुरजीत चड्ढा को पार्टी हाईकमान ने अध्यक्ष की कमान सौंपी है। 6 माह के लम्बे अंतराल के बाद कांग्रेस ने ऐसे समय नया अध्यक्ष नियुक्त किया है जब विधानसभा चुनाव सिर  पर है। दो बार के पार्षद रहे सुरजीत चड्ढा को अध्यक्ष बनाकर का पार्टी ने शहर कांग्रेस को चौंका दिया। सुरजीत चड्ढा को किस समीकरण के तहत पार्टी ने चुना है यह तो कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ही बता सकते हैं, लेकिन जीरो ग्राउंड पर उतर कर देखे तो शहर  अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद के सामने उनका राजनीतिक कद छोटा है। अब देखना है कि वे इस नई चुनौती का कैसे सामना करते हे। हालांकि पार्टी उन्हें सहयोग के लिए दो कार्यकारी अध्यक्ष देने पर विचार कर रही है।  
कहीं खुशी, कहीं गम
हर एक्शन के बाद रिकेएक्शन होता है। ऐसा ही पार्टी में हो रहा है। हाल ही के दिनों में सुरजीत को अध्यक्ष बनाए जाने पर कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है, वहीं दूसरी और सुरजीत के विरोधी तथा कई नेता व कार्यकर्ता बेहद नाराज है।  कुछ ही माह बाद चुनाव होने है। शहर इतना बढ़ गया है की इतने कम समय में शहर को कवर करना एक बड़ा मुश्किल काम है।
तीन विधानसभा क्षेत्रों में तोडऩा पड़ेगा पराजय का सिलसिला
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक लम्बे समय के बाद इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मजबूत स्थिति में दिख रही है।  शहर की तीन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस का परचम लहराने चाहिए, लेकिन ये तीनों सीटें ऐसी है जहां पर 90 के बाद कभी नहीं जीती है। इसलिए इन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस को पराजित के सिलसिले को रोकना पड़ेगा। तीन विधानसभा की स्थिति पर एक नजर डालते है -
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक - 2
- 1952 में पहली मर्तबा चुनाव हुए । तब लेकर 90 तक विधानसभा क्षेत्र क्रमांक दो में कांग्रेस लगातार जीतती रही।
- 1990 में आखिरीबार कांग्रेस से सुरेश सेठ चुनाव जीते थे। उन्होंने विष्णुप्रसाद शुक्ला को 1200 वोटों से पराजित किया था।
- 1993 में शहर कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर रहते हुए पंडित कृपाशंकर शुक्ला को कैलाश विजयवर्गीय ने 20883 वोटों से पराजित किया था।
- 30 साल गुजर गए लेकिन कांग्रेस आज तक यहां से नहीं जीती।  
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4
- 1985 में कांग्रेस के नंदलाल माटा ने भाजपा के श्रीवल्लभ शर्मा को 5500 वोटो से पराजित किया था।    
- इसके बाद इंदौर चार से हमेशा भाजपा का झंडा लहराता रहा।
- भाजपा की लगातार जीत ने इंदौर - 4 को मिनी अयोध्या बना दिया।
- 2018 में नवागत शहर अध्यक्ष सुरजीत चड्ढ़ा को भाजपा की मालिनी गोड ने 30 से भी ज्यादा वोटो से हराया था।
- 33 साल से कांग्रेस इंदौर चार की सीट जीतने का सपना देख रही है।
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5
भाजपा ने 20 साल से इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा हुआ है।
कांग्रेस के दिग्गत नेता पंकज संघवी, सत्यनारायण पटेल और शोभा ओझा तक इस सीट से प्रत्याशी रह चुकी है, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
बीते चुनाव में जरूर महेंद्र हार्डिया के हारने की संभावना दिखाई दे रही थी, लेकिन एन वक्त पर उन्होंने फिर से बाजी मार ली और कांग्रेस को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा।
अबकी बार कांग्रेस के दो दिग्गज स्वप्रिल कोठारी और सत्यनारायण पटेल इस सीट से अपनी-अपनी दावेदारी जता रहे हैं। दोनों ही मजबूत स्थिति में हैं, ऐसे में पार्टी किसे टिकट देगी यह भी देखना दिलचस्प होगा।
बाक्स
भाजपा और कांग्रेस का सबसे ज्यादा जोर 66 सीट वाले मालवा निमाड़ पर
- कुल 66 सीटें
- कुल जिले -  15   (इंदौर, धार, खरगौन, खंडवा, बुरहानपुर, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, शाजापुर, देवास, नीमच और आगर )
- 2018 के विधानसभा  चुनाव में 66 सीटों वाले इस क्षेत्र में भाजपा के पास 57 और कांग्रेस के पास मात्र 9 सीटें हैं।
-  मालवा-निमाड़ में भाजपा के पिछडऩे के कारण पार्टी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
बाक्स
इंदौर जिले की मतदाताओ की स्थिति
- 2018 - कुल वोटर थे - 2452297 (31जुलाई 2018)
- 2023 - कुल वोटर है - 2599445 (8 जून 2023 तक)