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होशंगाबाद

कागजों में गोरक्षा की बात

  • 13 Sep 2021

होशंगाबाद।  शहर सहित स्टेट हाइवे, नेशनल हाइवे, कॉलोनियों की सड़कों पर गोवंश का जमावड़ा रहता है। बारिश में सड़कों पर गोवंश की संख्या अधिक बढ़ जाती है। गोसेवा और गोवंश की रक्षा की बात केवल कागजों में ही है। हकीकत में गोवंश सड़कों पर हैं। जिले में 7 निजी और 15 मुख्यमंत्री योजना के तहत बनाई गईं गोशाला का उपयोग नहीं हो रहा है।
शनिवार-रविवार रात अज्ञात वाहन ने इटारसी-औबेदुल्लागंज फोरलेन पर बुदनी के जोशीपुर और बगवाड़ा की डायवर्ट तीन किमी बायपास सड़क पर 4 गोवंश रौंद दिए। गोवंश की आंतें तक बाहर निकल आईं। गोवंश के क्षत-विक्षत शव देखकर ग्रामीण भड़क गए। आक्रोशित ग्रामीणों ने रविवार को काफी देर तक बायपास सड़क पर चक्काजाम किया।
शासन-प्रशासन गोवंश की रक्षा और सुरक्षा की बात तो करता है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि जिले में 6 से 7 हजार से अधिक गोवंश का सड़कों पर डेरा रहता है। इनके कारण बाजारों, गलियों और मुख्य मार्गों पर आवागमन भी बाधित होता है। साथ ही गोवंश दुर्घटना का शिकार भी होते हैं।
सड़क बेहद खराब, बघवाड़ा में अक्सर होती रहती हैं दुर्घटनाएं
बगवाड़ा के निवासी दीपक यादव ने बताया फोरलेन से डायवर्ट की गई बायपास सड़क जर्जर है। सड़क बहुत गड्ढे हैं। इसके कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। हर दूसरे दिन गोवंश सहित अन्य मवेशी सड़क पर दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। शनिवार रात 4 मवेशियों को बुरी तरह से अज्ञात वाहन ने रौंद दिया। आक्रोशित ग्रामीणों ने चक्काजाम किया। मृत मवेशियों को जेसीबी की मदद से उठाना पड़ा।
शहर की सड़कों पर भी गोवंश का डेरा
शहर की सड़कों पर गोवंश का डेरा रहता है। नेशनल हाइवे पर इटारसी रोड, रसूलिया, मालाखेड़ी रोड, हरदा रोड, बुदनी रोड, स्टेट हाइवे पर बाबई रोड से पिपरिया तक आवारा मेवशी सड़कों पर रहते हैं। प्रतिदिन यहां दुर्घटनाएं होती हैं। बाजारों और मुख्य मार्गों पर गोवंश सड़कों पर बैठे रहते हैं। बारिश में कीचड़ के कारण गोवंश पक्की सड़क पर बैठते हैं। हाउसिंग बोर्ड उत्कृष्ट सड़क पर हरियाली चौक से बड़े हनुमान मंदिर तक गोवंश सड़क पर बैठे रहते हैं।
पशुपालक खुला छोड़ देते, चारागाह भी नहीं
जिले में मुख्यमंत्री योजना के तहत नई गोशालाओं का निर्माण कार्य चल रहा है। 15 से अधिक मुख्यमंत्री योजना की गोशाला हैं और 7 निजी गोशाला संचालित हैं। जिले में 6 हजार से 7 हजार आवारा गोवंश है। इन्हें पशुपालक खुला छोड़ते हैं। गोवंश के लिए अब चारागाह भी नहीं बचे हैं। इस कारण ये हाल हैं।