एल एन उग्र...
वर्तमान दौर चुनावी समर है...लोकतंत्र का उत्सव ... जिसने मैदान पकड़ा...वही खिलाड़ी है... मैदान में दाव लगाना और दूसरे को पटकनी देना ही... ताल ठोक कर फतेह हासिल करना...जीत कहलाती है... मैदान में इस बात का... कोई अर्थ नहीं होता है कि... कौन कितना दमदार है... कौन कितना बड़ा है...जब ताल ठोकी एक दूसरे के सामने... तब ही इन बातों का अर्थ... बे अर्थ हो जाता है... अब तो लक्ष केवल जीत... और जीत होता है...।
जी हां मैं बात कर रहा हूं...इंदौर विधानसभा एक की... जहां से वरिष्ठ और गरिष्ठ... भाजपा के बड़े नाम... कैलाश जी ने मैदान पकड़ा है... सामने हैं संजय शुक्ला जी... वे वर्तमान में यहां से विधायक भी हैं...कैलाश जी को भाजपा ने... क्यों एक नंबर से चुनाव में उतारा है... यह हर किसी के न तो समझ का... विषय है... न ही बहस का...। राजनीति में बड़े खेल होते हैं... और मैं हमेशा कहता हूं... राजनीति जो करा दे... वह कम है... खैर...। कुछ समय हमने कैलाश जी के...संपर्क के दौरान गुजारा... आज में कैलाशी के चुनाव संपर्क की... व्याख्या नहीं करूंगा... क्योंकि कैलाश जी की टीम बड़ी...और मजबूत भी... संपर्क में जो होता है... वही होता रहा है... मैंने कैलाश जी पर अक्सर लिखा है...उन पर लिखना अच्छा भी लगता है... हालांकी चुनौतीपूर्ण भी होता है...पिछले दिनों कैलाश जी ने जब... यह कहा था कि... मैं बूढा नहीं हुआ हूं... कहीं से भी चुनाव लड़ सकता हूं...और उनकी बात सही भी हो गई...वे चुनाव मैदान में हैं...मैंने तब भी लिखा था कि... जो ऊर्जा से ओत प्रोत हो... जिससे लोग ऊर्जावान बनते हों... जो सक्रिय हो... वह बूढा नहीं हो सकता है...। इस चुनाव में ऊर्जा से ओत प्रोत... राजनेता दिखाई दे रहा है...जो सुबह से शाम तक... अपने कर्म में लगा हुआ है...खुद के चुनाव में समय कम दे रहा है... अन्य लोगों के लिए वोट मांगने जा रहा है... सभाएं कर रहा है...वह कहते हैं मेरे कार्यकर्ता चुनाव लड़ते हैं... मैं चुनाव नहीं लड़ता हूं... और यही दिख भी रहा है... आज इंदौर की एक नंबर सीट पर... ना केवल इंदौर बल्कि... पूरे प्रदेश की राजनीति की... निगाह लगी हुई है...।
मैं चुनाव समर में... कई प्रत्याशियों के लिए लिख चुका हूं... मैंने जो महसूस किया... वही लिखा है... गुणगान या किसी को खुश करने का... लिखने का अर्थ यह है कि... मैं सच में लेखक नहीं हूं...कलम सही लिखें तो ही कलम है...वरना तो वह पेन बनकर रह जाएगी...।
कैलाश जी ने इंदौर की राजनीति को... ना केवल बदला... बल्कि इतिहास बना दिया है... नया पाठ लिखा गया है... जिस दो नंबर विधानसभा में... कॉन्ग्रेस का गढ़ हुआ करता था...आज वहां कांग्रेस ही क्या... हर कोई दल चुनाव भी...चुनाव की औपचारिकता निभा रहा है...। संजय शुक्ला के बेटे वाले स्लोगन पर... बड़े तर्क पूर्ण... अर्थ पूर्ण... व सारगर्भित बात कहते हैं... जो व्यक्ति पिता की विचारधारा को नहीं अपना पाया... वह बेटे को फर्ज क्या निभा पाएगा... क्योंकि विष्णु प्रसाद जी शुक्ला... बड़े भैया... भाजपा के बड़े नाम थे... फाउंडर कहलाते थे... गर्दिशों से भाजपा को उभारने वाले... नेताओं में उनकी गिनती होती थी...हांलाकी राजनीति में यह जरुरी नहीं है कि... पिता जिस राजनैतिक दल में हो वहीं पुत्र भी जाए...और कई बार तो राजनीति के... समीकरण के लिए समझोतो के लिए...भी पिता- पुत्र, माता -पुत्र,भाई- भाई... या अन्य रिश्तेदार... अलग-अलग दलो के माध्यम से... सत्ता में बने रहते हैं...! बड़े भैया और संजय शुक्ला राजनीति में अपवाद नहीं है...!
कैलाश जी के चुनाव लड़ने पर...सारा शहर और प्रदेश... इंतजार में है परिणाम के... परिणाम क्या आता है...एक व्यक्ति ने यह भी प्रश्न किया कि... क्या कैलाश जी चुनाव जीतेंगे...? या हार जाएंगे...?उसीने प्रति प्रश्न भी किया...अगर हार गए तो...?बस प्रश्नवाचक चिन्ह लगाकर... वह व्यक्ति चुप हो गया...लेकिन एक सवाल खड़ा कर गया...? अब तो देखना है परिणाम के दिन...। कैलाश जी पर दो नंबरी तमगा लगा है... वे इस चुनाव परिणाम से...1 बनेंगे या नहीं...? लेकिन राजनीति के खिलाडी...समीक्षकों का मानना है कि...कैलाशी बनेंगे नंबर वन...।
शेष फिर...
विविध क्षेत्र
क्या कैलाश जी बनेंगे नंबर 1...?
- 16 Nov 2023