ह मारे सूर्य के साथ एक बात बड़ी असामान्य है। उसके वायमडंल की तापमान उसकी सतह की तुलना में बहुत ही ज्यादा अधिक है। सूर्य का नजदीक से अवलोकन करना बहुत ही मुश्किल काम है। लेकिन वैज्ञानिक काफी समय से इसकी वजह जानने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी व्याख्या करने के लिए कई तरह के मत और सिद्धांत भी दिए गए हैं।
सूर्य के बारे में हमारे वैज्ञानिक पृथ्वी से हो रहे अवलोकनों पर ज्यादा आधारित हैं। शक्तिशाली टेसील्कोप भी हमारे खगोलविदों और वैज्ञानिकों को मदद कर रहे हैं। और साथ ही दुनिया की कई स्पेस एजेंसी के यान सूर्य के पास जा कर उसके बारे में विस्तार से अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा सूर्य ग्रहण जैसी घटनाओं के दौरान भी सूर्य के बारे में, खास तौर से उसके वायुमंडल के बारे में भी जानकारी हासिल मिलती है। अवलोकनों में पाया गया है कि सूर्य के वायुमंडल का तापमान सूर्य की सतह से बहुत ज्यादा होता है। आखिर इस असामान्यता का क्या कारण है आइए जानते हैं कि इस बारे में क्या कहता है विज्ञान?
क्रोड़ से लेकर सतह तक
सूर्य ऊर्जा का एक बहुत ही विशाल उद्गम स्थल है। उसके क्रोड़ का तापमान 2।7 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक रहता है। यहीं से ऊर्जा और ऊष्मा का निर्माण होता है। लेकिन जैसे ही हम आग से दूर जाते हैं हमें ऊष्मा और ऊर्जा का अहसास कम होने लगता है। यह सामान्य से नियम ब्रह्माण्ड में हर जगह लागू होता है और सूर्य के अंदर भी। यह वजह है कि सूर्य की सतह पर तापमान केवल छह हजार डिग्री सेल्सियस होता है।
बहुत ही ज्यादा गर्म वायुमंडल
मजेदार बात यह है कि जैसे ही हम सूर्य की सतह से थोड़ा ऊपर तक जाते हैं तो तापमान और ऊष्मा कम होने लगती है, लेकिन अचानक इसके बाद वायुमडंल में तापमान करोड़ों डिग्री बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि कुछ तो है जो सूर्य के वायुमडंल को गर्म कर रहा है। लेकिन यह पता लगाना आसान काम नहीं है।
कई तरह की व्याख्या
ऐसा क्यों हो रहा है इसको लेकर वैज्ञानिकों ने कई तरह के मत दिए हैं। इसमें सबसे प्रमुख विचार, यानि जिससे अधिकांश वैज्ञानिक सहमत भी हैं, यही है कि इसके पीछे सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र यानि मैग्नेटिक फील्ड है और यह क्षेत्र कहीं और से नहीं बल्कि सूर्य के अंदर से ही ऊर्जा प्रदान करता है। इससे सतह पार कर ऊष्मा वायुमंडल में पहुंच जाती है।
सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र
पृथ्वी की तरह सूर्य का भी एक चुंबकीय क्षेत्र है। इसे देखा तो नहीं जा सकता है, वस्तुओं पर पड़ रहे प्रभाव के जरिए इसे जरूर समझा जा सकता है। जैसे पृथ्वी पर कुतुबनुमा या कम्पास की सुई उसके चुंबकीय क्षेत्र के मुताबिक एक निश्चित दिशा उत्तर दक्षिण की ओर दिशा दिखाती है। इसी लिए इस तरह के उपकरण को दिशासूचक यंत्र भी कहते हैं। पृथ्वी की तरह सूर्य के भी चुंबकीय उत्तर और दक्षिण ध्रुव होते हैं, लेकिन उनका बर्ताव कुछ अलग होता है। सूर्य की चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएं सतह से वायुमंडल में तक कुंडली या फंदे या पाश की तरह का आकार बनाती है, लेकिन ये पाश लगातार बदलते रहते हैं।
विस्फोट और तरंगें
यदि ये पाश एक दूसरे को छू लेते हैं तो इससे अचानक विस्फोट होता है और विशाल मात्रा में ऊर्जा निकलती है जो वायुमंडल को गर्म करती है। इन्हीं चुंबकीय रेखाओं के अनुरूप चलने वाली तरंगें ही ऊर्जा को ऊपर लाने का काम करती हैं। क्या वास्तव में यही विस्फोट और तरंगें ही सूर्य के वायुमंडल को वास्तव में गर्म कर रहे हैं। जब हम सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड का मापन कर सकेंगे तो इसकी भी पुष्टि कर सकेगे।
चुंबकीय क्षेत्र का मापन
सूर्य से आने वाले प्रकाश में चुंबकीय क्षेत्र छोटे से बदलाव ला देते हैं इसके जरिए सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र मापा जा सकता है। सूर्य की सतह बहुत ही चमकीली है और इसलिए वहा से आने वाले प्रकाश में बदलाव का मापन और उसके जरिए चुंबकीय क्षेत्र का मापन् मुश्किल नही हैं। लकिन सूर्य का वायुमडंल का इतना गर्म होता है कि उसका प्रकाश दिखाई नहीं देता है, बल्कि उससे एक्स रे विकिरण निकलती हैं। ये एक्स रे इतनी धुंधली होती हैं कि इससे वायुमंडल का आंकलन करना मुश्किल हो जाता है।
अब नासा का पार्कर सोलर प्रोब सूर्य के करीब उसका चक्कर लगा रहा है। वास्तव में वह बहुत पास तो नहीं है लेकिन इतना पास जरूर है कि वह सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का मापन कर सके। वैज्ञानिक उम्मीद कर रहे हैं कि अगले पांच सालों में बहुत काम की, नई और उपयोगी जानकारी मिलेगी। चुंबकीय क्षेत्र के मापन ही में सूर्य को वायुमडंल और तारों की जानकारी देंगे जो अपनी सतह की तुलना में बहुत ज्यादा गर्म हैं।
साभार
विविध क्षेत्र
क्या वाकई सूर्य की सतह से ज्यादा गर्म है उसका वायुमंडल?
- 27 Jul 2022