इंदौर। मंदसौर गोलीकांड मामले में गठित जांच आयोग ने चार साल पहले अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। शासन ने हाई कोर्ट में आश्वासन दिया था कि इस रिपोर्ट को जल्द ही सार्वजनिक कर दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होने से आम आदमी को पता ही नहीं चल रहा है कि मंदसौर गोलीकांड में आखिर गलती किसकी थी। जो छह किसान इस गोलीकांड में मारे गए थे आखिर उनकी गलती क्या थी।
यह मजमून है उस जनहित याचिका का जो मंदसौर गोलीकांड को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई है। याचिका पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने एडवोकेट प्रत्युश मिश्रा के माध्यम से दायर की है। इसमें जांच रिपोर्ट जल्द से जल्द सार्वजनिक करने का आदेश देने की मांग की गई है। गौरतलब है कि 6 जून 2017 को मंदसौर में सड़क पर प्रदर्शन कर रहे किसान और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई थी। इसमें पुलिस की गोली से छह किसानों की मौत हो गई थी। यह मामला हाई कोर्ट पहुंचने के बाद जांच के लिए एक सदस्यीय जैन आयोग गठित किया गया था। इस जांच आयोग ने सभी पक्षों के बयान दर्ज करने के बाद 2018 में जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी।
हाई कोर्ट में शासन ने आश्वासन दिया था कि जैन आयोग की रिपोर्ट छह माह के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत कर दी जाएगी। इसके बाद यह सार्वजनिक हो जाएगी और कोई भी आम व्यक्ति इस रिपोर्ट का अवलोकन कर सकेंगे। हाई कोर्ट में आश्वासन देने के बावजूद ऐसा नहीं हुआ। रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हुई है। अब यह मामला एक बार फिर हाई कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर एक नई जनहित याचिका प्रस्तुत हुई है। मंगलवार को इसी में बहस है। याचिकाकर्ता की मांग है कि रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए ताकि वास्तविकता सामने आ सके।
मंदसौर
क्यों सार्वजनिक नहीं की जा रही मंदसौर गोलीकांड की जांच रिपोर्ट, सुनवाई आज
- 23 Aug 2022