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इंदौर

कोयले की कमी से इंदौर के 3500 से ज्यादा उद्योग प्रभावित

  • 11 Oct 2021

बिजली प्रोडक्शन में आ रही कमी का असर, संकट गहराया तो नुकसान भी बढ़ेगा
इंदौर। बिजली कटौती के चलते औद्योगिक क्षेत्र में करोड़ों रुपयों का नुकसान हो रहा है। इसका खास कारण काला हीरा कहा जाने वाला कोयला बताया जा रहा है। सरकार द्वारा लोकल फॉर वोकल की नीतियों के तहत बनाई गई नीतियों से उद्योगों में आ रही मंदी को उद्योगपतियों ने मूल कारण बताया है। कोयले की कमी से बिजली उत्पादन में आ रही कमी से कई उद्योगों की हालत चरमरा गई है।
एसोसिएशन आॅफ इंडस्ट्रीज मप्र के अध्यक्ष प्रमोद डफरिया के मुताबिक, बिजली कटौती के कारण उद्योगों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। बिजली उद्योगों के लिए एक प्रकार से रॉ मटेरियल के रूप में काम करती है। इसके तहत किसी भी स्तर का उद्योग हो, उसमें बिजली का अपना महत्व है। ऐसे में अगर बिजली सप्लाई में दिक्कत होती है तो उद्योगों में लाखों रुपए का नुकसान होता है।
बकौल डफरिया, बिजली से फार्मा उद्योग चलते हैं। इसके तहत लोहा पिघलाया जाता है और यदि बिजली चली जाती है तो उसमें मशीन पर काफी ट्रिपिंग होती है और इसके कारण जो लोहा पिघलाने के लिए गर्मी उत्पन्न होती है, वो 700 डिग्री तापमान से घटकर 300 डिग्री पर आ जाती है। इससे उद्योगपतियों को लाखों रुपए का नुकसान हो जाता है। मामले में एसोसिएशन ने बिजली कंपनी के एमडी और ईडी सुपरिटेंडेंट सहित अन्य अधिकारियों से मुलाकात कर पूरी जानकारी दी है। उन्हें अवगत कराया गया है कि बिजली कंपनी सही से सर्विस नहीं देगी तो उत्पादन अच्छे से कैसे होगा और रोजगार के अवसर कैसे निर्मित होंगे। इंदौर में सांवेर रोड, पालदा, पोलो ग्राउंड, लक्ष्मीबाई नगर आदि औद्योगिक क्षेत्र में 3500 से ज्यादा उद्योग हैं। बिजली की कमी से इन उद्योगों को असर पड़ रहा है।
कोल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष सतीश भल्ला के मुताबिक, प्रदेश सहित पूरे देश में कोयले को लेकर काफी खराब स्थिति है। 15 दिन में दो से ढाई हजार प्रति टन के भाव में बढ़ोतरी हुई है। छोटे उद्योगों में 400 से 500 टन तक कोयला लगता है, लेकिन बड़े उद्योगों में यही कोयला हजारों टन लगता है। इस कारण उद्योगों को सीधा प्रभाव पड़ रहा है। सोयाबीन से लेकर तेल, सीमेंट, सरिया के भावों पर सीधा असर पड़ रहा है। एक सोयाबीन प्लांट को हजारों टन कोयला लगता है, उद्योग इसका बोझ नहीं उठा पा रहे हैं।
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