ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर बैच ने एक मां द्वारा अपने बच्चे को लेकर लगाई गई। बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है। महिला का आरोप था कि उसके साथ ससुर और पति ने 7 साल के बेटे को अवैध रूप से अपने कब्जे में रखा हुआ है जबकि उसका अपना फ्लैट है। जहां वह अपने बच्चे के साथ आराम से रह सकती है। लेकिन कोर्ट ने जब महिला से उसकी आय के स्रोत के बारे में पूछा तो वह कोई जवाब नहीं दे सकी। कोर्ट ने उससे यह भी पूछा क्या वह इनकम टैक्स फाइल करती है तो उसने मना कर दिया।
इसके बाद कोर्ट ने कहा कि महिला के घर से बाहर रहने पर उसका बेटा घर में अकेला किसके सहारे रहेगा। जबकि फिलहाल वह अपने पिता और उसके बुजुर्ग माता-पिता के पास कहीं ज्यादा सुरक्षित है। इसलिए कोर्ट बच्चे का वेलफेयर और उसका भविष्य देखते हुए मां की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि महिला अपने पति से किसी विवाद का निराकरण चाहती है तो वह इसके लिए कुटुंब न्यायालय की शरण ले सकती है। मामला शहर के थाटीपुर इलाके का है। यहां रहने वाले दंपत्ति का 7 साल का बेटा अपने दादा-दादी और पिता के साथ रहता है। पिता उसका दिल्ली की किसी कंपनी में कार्यरत है लेकिन कोरोना संक्रमण कार्य के चलते वह इन दिनों वर्क फ्रॉम होम कर रहा है। यानी वह अपने घर पर ग्वालियर में रह रहा है लेकिन महिला का कहना है कि उसके बेटे को गलत तरीके से उसके दादा दादी और पति ने अपने पास रखा हुआ है। इसे लेकर महिला ने एक रिट पटिशन हाई कोर्ट में फाइल की थी जिस पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दादा-दादी और पति की ओर से उनकी वकील डॉक्टर अंजलि ने कोर्ट को बताया कि मां के पास फिलहाल कोई भी परमानेंट आय का स्रोत नहीं है। महिला कहीं बाहर जाएगी तो बेटा किसके सहारे घर में रहेगा।
credit- punjabkesari
जबलपुर
कोर्ट ने मां को बच्चे की कस्टडी देने से किया इंकार,कहा- अच्छी परवरिश के लिए इनकम सोर्स होना जरूरी
- 18 May 2021