भोपाल। धार जिले के कारम बांध से पानी रिसने और बाइपास चैनल बनाकर पानी बहाने की मजबूरी के लिए बांध निर्माण करने वाली कंपनी और जल संसाधन विभाग के अधिकारी तो जिम्मेदार हैं ही, कार्ययोजना (प्लानिंग) में भी चूक हुई है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि नहर और उसके जरिये पानी निकासी का रास्ता बनाए बगैर बांध को चौतरफा बंद करना ही नहीं था। यदि पानी निकासी का रास्ता बनाया गया होता तो यह स्थिति नहीं बनती। सौ करोड़ रुपये की लागत राशि भी बर्बाद नहीं होती।
इस बात का ध्यान रखना इंजीनियरों का काम है। घटनाक्रम देखकर स्पष्ट हो रहा है कि बांध की पाल बनाते समय इंजीनियर मौके पर गए ही नहीं। जल संसाधन विभाग से मुख्य अभियंता के पद से सेवानिवृत्त हुए संतोष तिवारी कहते हैं कि किसी भी बांध की पाल बनाते समय उससे पानी के निकासी की जगह भी बनाई जाती है ताकि अचानक अधिक पानी आने पर उसे निकाला जा सके और बांध को कोई नुकसान न पहुंचे। इस बांध के मामले में ऐसा नहीं हुआ।
पाल के आगे कई तरह की कैनाल बनाई जानी चाहिए थी। स्पिल-वे बनाना था। बांध का अतिरिक्त पानी उसी से निकाला जा सकता है। जब तक यह न बनें, तब तक पानी को निकलने की जगह दी जाती है। ऐसा करने से बांध की दीवार को नुकसान से बचाया जा सकता है। एक अन्य सेवानिवृत्त अधिकारी के अनुसार निर्माण कार्यों में गड़बड़ी की बड़ी वजह उसी कंपनी की प्लानिंग से निर्माण करवाना है। प्रदेश में पांच साल पहले ही यह परिपाटी शुरू हुई है।
जल संसाधन विभाग की कोशिश रहती है कि जो कंपनी काम कर रही है, वही प्लान भी तैयार कर ले। इसे ऊपरी स्तर पर देखकर मंजूरी दी जाती है पर मैदानी स्तर पर प्लानिंग के हिसाब से काम हो रहा है या नहीं, कोई नहीं देखता। यहां तक कि निरीक्षण भी औपचारिकता ही होते हैं। जब तक कि कोई बड़ी कमी खुद-ब-खुद दिखाई न देने लगे।
भोपाल
कारम बांध की योजना में शुरू हुई गड़बड़ी ने बर्बाद किए 100 करोड़
- 20 Aug 2022