यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए एक से दूसरे बैंक में पेमेंट करने की सुविधा देने के बाद नैशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) अब कैश डिपॉजिट के लिए भी ऐसा ही कदम उठाने की खातिर बैंकों पर जोर डाल रहा है। उसने यह फीचर बैंकों की शाखाओं या अन्य जगह लगे ATM पर शुरू करने का सुझाव दिया है।
सूत्रों ने बताया कि NPCI का मानना है कि उसके नैशनल फाइनैंशल स्विच (NFS) के जरिए इंटरऑपरेबल कैश-डिपॉजिट सिस्टम शुरू करने से पूरे बैंकिंग सिस्टम के लिए करंसी संभालने की लागत घटेगी। इस स्विच को इंस्टिट्यूट फॉर डिवेलपमेंट ऐंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नॉलजी (IDRBT) ने डिवेलप किया है। ऐसा करने से ATM ऑपरेटर्स को भी मशीन में कैश डालने की लागत घटाने में मदद मिलेगी। डिपॉजिट किए गए पैसों का निकासी के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
एक प्राइवेट बैंकर ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया, 'सभी बड़े प्राइवेट और सरकारी बैंकों को इंटरऑपरेबल नेटवर्क से जुड़ने के लिए कहा गया है।' उन्होंने बताया, 'हालांकि, बैंकों के लिए ऐसी शर्तों को मानने से पहले कुछ पहलुओं पर गौर करना जरूरी है। यह प्रणाली अपनाने से पहले इसके जरिए जाली नोटों की हेरफेर रोकने और सिस्टम में सामंजस्य बैठाने के लिए फ्रेमवर्क तैयार करने की जरूरत होगी।'
30 हजार ATM को आसानी से किया जा सकता है अपग्रेड
इंटरऑपरेबल कैश डिपॉजिट नेटवर्क पर 14 बैंक पहले से लाइव हैं। एक अन्य सूत्र ने बताया कि NPCI का अनुमान है कि IDRBT का मैकेनिज्म अपनाते हुए बड़े बैंकों के करीब 30 हजार ATM को हाथों-हाथ इंटरऑपरेबल डिपॉजिट मशीन में अपग्रेड किया जा सकता है। इसके लिए अलग से हार्डवेयर अपग्रेड करने की जरूरत नहीं होगी।
किसी भी बैंक की मशीन से कर सकेंगे कैश जमा
NPCI की तरफ से खबर पर प्रक्रिया नहीं मिली। यह योजना लागू होने से ग्राहकों के लिए अन्य बैंकों के ATM पर कैश डिपॉजिट करना मुमकिन होगा। उदाहरण के तौर पर, HDFC बैंक का कस्टमर स्टेट बैंक की ब्रांच या अन्य जगहों पर लगे डिपॉजिट फैसिलिटी वाले ATM के जरिए पैसे जमा कर सकेगा। इन मशीनों को कैश-डिपॉजिट मशीन या कैश रीसाइकिलर के नाम से जाना जाता है।
इनको अधिक फायदा
इस सुविधा का सबसे अधिक फायदा ई-कॉमर्स कंपनियों और फूड एग्रीगेटर्स को मिल सकता है। डिलिवरी एजेंट्स को डिपॉजिट ATM पर इंस्टेंट क्रेडिट करने से कैश संभालने की लागत घटाने में मदद मिलेगी।
इन बैंकों में इंटरऑपरेबल डिपॉजिट
यूनियन बैंक, केनरा बैंक, आंध्रा बैंक और साउथ इंडियन बैंक पहले से इंटरऑपरेबल डिपॉजिट की सुविधा दे रहे हैं। वित्तीय गड़बड़ियों के चलते पिछले साल रिजर्व बैंक से कस्टमर अकाउंट्स पर रोक का सामना करने वाला पंजाब ऐंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक भी यह सुविधा देता रहा है। सूत्र ने बताया कि इंटरचेंज, यानी जमा किए गए पैसों को प्रोसेस करने का चार्ज अभी 10 हजार रुपये से कम के डिपॉजिट के लिए 25 रुपये है। इससे बड़ी राशि के लिए यह फीस 50 रुपये है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
पेमेंट्स टेक्नॉलजी कंपनी ACI वर्ल्डवाइड के वाइस प्रेजिडेंट और कंट्री लीडर (दक्षिण एशिया) कौशिक रॉय ने बताया, 'बैंकों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी की सुविधा ने ही UPI को इतना लोकप्रिय बनाया है। इसमें 'कैश-आउट' की तुलना में 'कैश-इन' ट्रांजैक्शन भले कम होते हैं, लेकिन सिस्टम से ग्राहकों को अधिक सुविधा मिल सकती है।' उन्होंने बताया, 'इंफ्रास्ट्रक्चर के लिहाज से डिपॉजिट मशीन में खास अपग्रेड की जरूरत नहीं होगी। ऑथेंटिकेशन में कैश विदड्रॉल का पाथवे ही अपनाया जाता है।'
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किसी भी बैंक के ATM पर कैश जमा करना होगा मुमकिन!
- 20 Jan 2020