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भोपाल

कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के सदस्यों की धरपकड़

  • 10 May 2023

एनआईए-एटीएस की भोपाल और छिंदवाड़ा में दबिश; 11 को हिरासत में लिया
भोपाल। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए), मध्यप्रदेश एटीएस और तेलंगाना एटीएस की टीम ने मंगलवार सुबह भोपाल और छिंदवाड़ा में दबिश दी। दोनों जगह से 11 संदिग्ध आतंकियों को हिरासत में लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, इनके आतंकी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर  से जुड़े होने के सबूत एनआईए और एटीएस को मिले हैं। सूत्रों के मुताबिक, तहरीर के कुल 16 सदस्यों को हिरासत में लिया गया। इनमें भोपाल और छिंदवाड़ा के 11 जबकि तेलंगाना के 5 संदिग्ध शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो हिरासत में लिए गए लोगों में भोपाल गैस त्रासदी एक्टिविस्ट का एक बेटा भी शामिल है। छिंदवाड़ा एसपी विनायक वर्मा ने बताया कि एटीएस की टीम ने शहर के कोतवाली इलाके में कार्रवाई की है।
10 संदिग्ध आतंकियों की 19 मई तक रिमांड मंजूर-
भोपाल और छिंदवाड़ा से गिरफ्तार 11 संदिग्ध आतंकियों को मध्यप्रदेश एटीएस ने कोर्ट में पेश किया। यहां  इन सभी की रिमांड मांगी। हालांकि, कोर्ट ने इनमें से 10 की ही रिमांड मंजूर करते हुए 19 मई तक एटीएस को पूछताछ के लिए सौंपा है।
संदिग्ध सामग्री भी मिलने की जानकारी-
हिरासत में लिए गए लोगों के पास से संदिग्ध दस्तावेज और देश विरोधी सामग्री भी मिली है। हालांकि, इस बारे में आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। भोपाल के ऐशबाग थाना प्रभारी चतुर्भुज राठौर ने बताया कि हमें इस मामले में कोई जानकारी नहीं है। अभी कुछ देर पहले तीन लोगों के परिवार थाने आए और बताया कि कुछ लोग खुद को पुलिसवाला बताकर घर में घुसे और लड़कों को पकड़ ले गए। भोपाल से पकड़े गए युवकों में से तारिक, शाहरुख और वसीम के परिजन थाने पहुंचे थे। जवाहर कॉलोनी निवासी तारिक के भाई इरफान ने बताया कि 12-15 लोग सादे कपड़ों में मंगलवार सुबह 7 बजे घर पहुंचे और भाई को ले गए। उन्होंने पूरे कमरे की तलाशी, लेकिन कुछ नहीं मिला। उनके साथ आए 3-4 लोग मिलिट्री यूनिफॉर्म पहने थे।
कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर सबकी नजरों से बचते हुए अपनी कट्टरपंथी विचारधारा को तेजी से फैला रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ये संगठन आईएसआईएस से भी ज्यादा खतरनाक है। इसने लगभग 50 देशों में अपना प्रसार कर लिया है। यह संगठन 1952 में यरूशलम में बना। लंदन में इसका मुख्यालय है। इस संगठन की मध्य एशिया, यूरोप, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में शाखाएं हैं। विशेष रूप से इंडोनेशिया में। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान और बांग्लादेश में महत्वपूर्ण उपस्थिति है।