इंदौर/भोपाल। सुबह -सुबह की ताजी हवा को हम घूमने के लिए निकल जाते हैं, लेकिन कड़कड़ाती सर्दी में यह हवा जहरीली साबित रही है, दरअसल इन दिनों प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो रहा है और लोग बीमार भी पड़ रहे हैं, क्योंकि सर्दियों के साथ बढऩे वाला विंटर स्मॉग कभी-कभी हवा में प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ा देता है कि यही हवा हमारे फेफड़ों को कमजोर करने लगती है। ये जानकारी सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरोमेंट (सीएसई) की विंटर एयर पॉल्यूशन पर तैयार ताजा रिपोर्ट से मिली है।
ये रिपोर्ट मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के शहरों में सर्द हवा से हो रहे प्रदूषण पर बनी है। इसके मुताबिक साल 2021 में भोपालवासियों ने 365 दिन में से 38 दिन एक ऐसी हवा में सांस ली, जो शरीर को बीमार कर देती। वहीं इंदौर में भी प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। इस साल का एयर क्वॉलिटी इंडेक्स डेटा (एक्यूआई) बताता है कि भोपाल का 38 दिन का तो इंदौर का 36 दिन का एक्यूआई पुअर कैटेगरी का था। वहीं सिंगरौली मध्यभारत का सबसे प्रदूषित शहर रहा। 2021 में यहां की हवा 95 दिन वैरी पुअर और सीवियर कैटेगरी की थी, जो राजधानी दिल्ली की तरह की बदतर थी।
क्यों हो रहा ऐसा- ट्रैफिक के कारण शाम 6 से रात 8 बजे के बीच पांच गुना बढ़ रहा है नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर भोपाल, इंदौर, जबलपुर में में 2.5 से 4.3 गुना ज्यादा एनओ 2, इंदौर में शाम से रात बढ़ता है स्तर
मप्र के सभी शहरों में वायु प्रदूषण के लिए ट्रैफिक सर्वाधिक जिम्मेदार है, शहरों में शाम 6 से रात 8 बजे के बीच नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड की सांद्रता (कंसंट्रेशन) काफी बढ़ जाती है। ग्वालियर में दोपहर की तुलना में शाम 6 बजे एनओ2 का स्तर पांच गुना ज्यादा बढ़ जाता है। वहीं भोपाल, इंदौर और जबलपुर में यह 2.5 से 4.3 गुना ज्यादा बढ़ जाता है। सुबह 7 से 8 बजे के बीच नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का स्तर शाम की तरह ही पीक पर होता है। इंदौर में शाम को बढ़ा हुआ हृह्र2 का स्तर आधी रात तक बढ़ा हुआ रहता है, इसकी वजह यहां रात में ट्रकों का मूवमेंट बढऩा है।
सर्दी आते ही तेजी से बढ़ता है पीएम 2.5
सिंगरौली को छोड़ ज्यादातर शहरों में पीएम 2.5 राष्ट्रीय औसत स्तर से 30 प्रतिशत कम रहता है। हालांकि सर्दियों की दस्तक के साथ ही यह से बढ़ता है और सभी शहरों में 100 एमजीसीएम के पार चला जाता है। नवंबर 2021 में ग्वालियर में पीएम-2.5 का वीकली औसत 202 एमजीसीएम पर पहुंच गया, जो काफी ज्यादा है। सिंगरौली में यह 191, कटनी में 141, भोपाल में 129, जबलपुर में 124, इंदौर में 104 एमजीसीएम पहुंच रहा है। सीएसई की शहरी प्रदूषण विशेषज्ञ अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि मप्र-छग के शहरों और औद्योगिक इलाकों में तत्काल मल्टी सेक्टर क्लीन एयर प्रोग्राम चलाने की जरूरत है।
सर्दियों में एनओ 2 का स्तर खतरनाक
इंदौर में नवंबर महीने में एनओ 2 का औसत स्तर 83 एमजीसीएम रिकॉर्ड हो रहा है, जो काफी खतरनाक है। जबलपुर में यह 60 एमजीसीएम और ग्वालियर में 49 एमजीसीएम हैं। सितंबर-अक्टूबर की तुलना में नवंबर आते ही ग्वालियर में यह 4.6 गुना और मंडीदीप में 4 गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
DGR विशेष
कड़कड़ाती सर्दी में खतरा बन रही हवा, अनेक लोग रहे बीमार, प्रदूषण का स्तर भी हुआ खतरनाक
- 13 Jan 2022