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चिंतन और संवाद

कथामृतम्  - मोरारी बापू : थोड़ा तप जरूरी है परिवार में..!

  • 19 Oct 2024

पल पल जीवन बह रहा है... नूतन बने रहो ...मैं रोज़ आकर के मेरी पोथीजी के वस्त्र बदलता हूँ ... 24 घंटे में ये वस्त्र मैला नहीं होता है... लेकिन ये मेरा संकेत है कि रोज़ नया वस्त्र... यानि रोज़ नए होओ ... युवान भाई बहन रोज़  ताज़े तरोज़े... सुबह उठो तो तुम दूसरे लगने चाहिए... कथा से तुम घर जाओ तो परिवार वाले तुमसे मोहब्बत करने लगे... प्यार में पड़ जाए कि ओह ...ये कैसा सुंदर होकर आया है...
 कथा तुम्हारा श्रृंगार कर रही है ..ये बहुत जरूरी है... ताज़े रहो... तरोज़े रहो...ये आवश्यक है...
परिवार में यदि तू तू ... मैं मैं... बंद करना है तो दो-तीन वस्तु परिवार वाले समझें ... एक तो सबके विचारों को आदर दो...बाप बोलता है तो बेटा आदर दे... बेटा बोलता है तो बाप को भी चाहिए कि ताज़ा तरोज़ा... उसके विचार को आदर दे ...स्वीकार करो सबका... वहां अहंकार बीच में आए... मैं बाप हूँ.... तेरा भी कोई बाप था...बाप बाप क्या कर रहा है ...
पति कुछ पत्नी से कह दे... तो पत्नी कहती है... हमने कंगन पहने हैं इसलिए दबा रहे हो ?..हम चंडी हैं ...ये जो अहंकार बीच में बाधा डाल रहा है... 
माता-पिता बच्चे... ऐसे प्यार से जियो ना यार कथा सुनने के बाद ...तुम्हारे घर में कलह क्यों है ?... एक दूसरे का अहंकार... इस गुफा से बाहर आओ ...
घर में थोड़ा तप लाओ ...अतिशय सुखी लोगों की संतान... क्योंकि उसको जन्मते ही सुख मिला है... इसलिए कोई रौनक नहीं... कोई तेज नहीं... और अभाव का आनंद जिसने लिया वो  तेज का अंबार हो जाता है... थोड़ा तप जरूरी है परिवार में ...थोड़ी हवा जरूरी है....
(रामकथा-मानस कंदरा से साभार सहित संपादन@पुष्पेंद्रपुष्प)