तकरीबन 12 सौ साल पहले कलचुरी काल में इस मंदिर का निर्माण
शहडोल। जिला मुख्यालय के पांडवनगर स्थित बड़ा तालाब के घाट पर बना कलचुरी काल का प्राचीन शिव मंदिर आज भी अपने गौरव की गाथा कहता है। यहां पर आठ साल पहले आकाशीय बिजली मंदिर के गुबज का छूते हुए तालाब में जाकर गिरी थी। इस घटना में मंदिर का ऊपरी हिस्सा थोड़ा क्षतिग्रस्त हुआ था पर मंदिर में स्थापित शिवलिंग को किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था। यहां तक कि उस समय मंदिर के पास ही बैठा एक युवक भी इस आकाशीय बिजली की चपेट में आने से बचा था। यह शिव मंदिर आज अपनी आस्था और विश्वास के लिए जाना जाता है।
कल्चुरी काल में हुआ था तालाब व मंदिर निर्माण-
आज से तकरीबन 12 सौ साल पहले कलचुरी काल में इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजाओं ने कराया था। यहां पर लोगों के निस्तार के लिए बड़ा तालाब बनवाया गया था। उसी समय तालाब के किनारे घाट पर यह शिव मंदिर बनवाया गया था। लोग तालाब में स्नान करने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाते थे। बताते हैं कि सावन के महीने में यहां पर आस्था का सैलाब उमड़ता था।इस मंदिर की प्रासंगिकता आज भी बरकरार है।लोगों का कहना है कि प्रतिदिन सुबह इस मंदिर में कोई पूजा करके चला जाता है जिसे आज तक किसी ने नहीं देखा है।यह पूरा मंदिर चूना पत्थर से बनाया गया है जो बहुत मजबूत है।
तालाब के घाट पर रमणीय स्थल-
बड़ा तालाब स्थित इस मंदिर का महत्व आज भी विद्यमान है । शिवलिंग अति प्राचीन है पूरे शहर में इस तरह का शिवलिंग अपने आप में अनूठा है। किसी जमाने में यहां पर वीरान हुआ करता था शाम के समय आने में लोग डरते थे लेकिन आज यह मंदिर शहर के बीचो बीच है।किराना व्यापारी कृष्णकुमार गुप्ता बताते हैं कि मुझे मेरे पूर्वजों ने बताया था कि यह मंदिर कलचुरी काल का है सावन के महीने में इस मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए लोग पहुंचते हैं।वहीं विनोद शर्मा का कहना है कि यह मंदिर अपने आप में अनूठा है मंदिर के प्रति लोगों की अपार आस्था है । सावन के महीने में यहां पर रुद्राभिषेक और पूजन अर्चन करना पुण्यदायी होता है।
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कलचुरी काल के इस शिव मंदिर के गुंबज को छूकर निकली थी आकाशीय बिजली
- 31 Jul 2023