कहीं ज़र्रा कहीं सहरा कहीं क़तरा कहीं दरिया
मोहब्बत और उस का सिलसिला यूँ भी है और यूँ भी
न पा लेना तिरा आसाँ न खो देना तिरा मुमकिन
मुसीबत में ये जान-ए-मुब्तला यूँ भी है और यूँ भी
कहीं ज़र्रा कहीं सहरा कहीं क़तरा कहीं दरिया
मोहब्बत और उस का सिलसिला यूँ भी है और यूँ भी
न पा लेना तिरा आसाँ न खो देना तिरा मुमकिन
मुसीबत में ये जान-ए-मुब्तला यूँ भी है और यूँ भी
© 2019, डिटेक्टिव ग्रुप रिपोर्ट | सर्वाधिकार सुरक्षित