उज्जैन। अगर आपके यहां छोटे बच्चे हैं, तो ये खबर अलर्ट करने वाली है। खेलते समय भी उनका ध्यान रखना जरूरी है। ऐसा ही मामला उज्जैन में सामने आया है। यहां छोटे भाई के लिए डाला झूला बड़ी बहन के लिए फांसी का फंदा बन गया। भाई के झूले पर झूलते समय 10 साल की बच्ची की गर्दन फंस गई। दम घुटने से उसकी मौत हो गई। हादसा रविवार रात हुआ।
रायपुर की रहने वाले उर्वशी (10) पिता नरेश देवांगन उज्जैन में अपने मामा के यहां आई थी। वह 5वीं की छात्रा थी। उसके मामा शैलेंद्र देवास गेट थाना क्षेत्र में बड़ी मायापुरी में रहते हैं। 4 अक्टूबर को नरेश बेटी उर्वशी, पत्नी कोमल और बेटे दीपक को नवरात्रि के दौरान यहां छोड़ गया था। कहा था कि दिवाली के बाद उन्हें वापस रायपुर ले जाएंगे।
बच्ची दूसरी मंजिल पर साड़ी के झूले में रात में अकेली झूल रही थी। इस दौरान गोल-गोल घूमते हुए उसकी गर्दन उसमें फंस गई। काफी देर तक वह नहीं लौटी, तो उसकी मां उसे देखने ऊपर पहुंची। उसने बच्ची की गर्दन झूले में फंसी देखी। परिवारवाले अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी।
बच्ची दूसरी मंजिल पर साड़ी के झूले में रात में अकेली झूल रही थी। इस दौरान गोल-गोल घूमते हुए उसकी गर्दन उसमें फंस गई। काफी देर तक वह नहीं लौटी, तो उसकी मां उसे देखने ऊपर पहुंची। उसने बच्ची की गर्दन झूले में फंसी देखी। परिवारवाले अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी।
दूसरी मंजिल पर अकेली झूल रही थी बच्ची
कोमल ने बेटे दीपक के लिए दूसरी मंजिल पर साड़ी का झूला बनाकर डाला था। बच्ची के मामा शैलेंद्र ने बताया कि उर्वशी रोजाना झूले पर खेलती थी। भांजा भी झूलता रहता था और वह उसके साथ खेलती रहती थी। रविवार रात भी वह झूले के सहारे अकेली झूल रही थी। उस समय वहां कोई नहीं था। हम लोग दिवाली की साफ-सफाई के चलते व्यस्त थे। घर में पुताई चल रही है। इसी दौरान गोल-गोल घूमते हुए उसे फंदा लग गया। काफी देर तक बेटी नीचे नहीं आई, तो मां ऊपर देखने पहुंची। यहां देखा तो झूले में बच्ची की गर्दन फंसी थी। वह बेहोश पड़ी थी। परिवारवाले तुरंत उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बच्ची के शव को मॉच्र्युरी में रखवाया है। पिता के आने के बाद बच्ची के शव का पीएम किया जाएगा।
पड़ोसी ने मना किया लेकिन वो नहीं मानी
मासूम की मौत के बाद घर में सन्नाटा पसरा हुआ है। मृतक बच्ची के मामा ने बताया की झूला हमने सावन में लगाया था। तभी से लगा हुआ था। अमूमन बच्चे ऊपर छत पर नहीं आते है लेकिन रविवार शाम को में ड्यूटी पर था। परिवार वाले दिवाली का सामान खरीदने गए हुए थे। उर्वशी इस दौरान ऊपर छत पर पहुंची तो हमारे पड़ोसी ने उसे झूलने से मना भी किया, लेकिन वो नहीं मानी। परिवार वाले घर पहुंचे तो उसे खोजते हुए छत पर गए जहां वो झूले में लटकी हुई मिली।
उज्जैन
खेलते-खेलते बच्ची को लगी फांसी, भाई के झूले में फंसी बहन की गर्दन
- 18 Oct 2022