इंदौर। पिछले 1 माह से गाइडलाइन बढ़ने की अटकलों पर आखिरकार मध्य प्रदेश सरकार ने विराम लगा ही दिया है सरकार ने घोषणा की है कि इस साल गाइडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी। हालांकि इससे सरकारी खजाने में कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। क्योंकि इंदौर सहित अन्य जिलों के पंजीयन कार्यालय राजस्व वृद्धि के मामले में हर बार अपना ही रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं।
हर साल मार्च माह के अंत में गाइडलाइन बढ़ जाती है इस बार भी गाइडलाइन बढ़ाने के लिए 20% वृद्धि का प्रस्ताव स्थानीय जिला प्रशासन के द्वारा भेजा गया था। जिसका कांग्रेस सहित भाजपा के कुछ नेताओं ने विरोधी कर दिया था सरकार ने भी विचार-विमर्श के लिए इस विषय को पेंडिंग रखा था पहले 1 जुलाई तक विचार किया जाना था लेकिन फिर तारीख आगे बढ़ गई सरकार ने 3 अगस्त का दिन तय किया था ।लेकिन इस दौरान 28 जुलाई को ही इस पर फैसला आ गया है कि इस बार गाइडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी गाइडलाइन नहीं बढ़ने से सरकार के खजाने में 200 करोड़ कम आने की बात कही गई है। लेकिन अकेले हम इंदौर की ही बात करें तो यहां लगभग 347 कॉलोनियों को इससे लाभ होगा। यह कॉलोनी नई गाइडलाइन के दायरे में आएगी लिहाजा ज्यादा रजिस्ट्री होने पर सरकार का खजाना निश्चित तोर पर भर जाएगा उक्त मामले में वरिष्ठ जिला पंजीयक बी के मोरे से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि गाइडलाइन नहीं बढ़ने से सरकार के खजाने में फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि इसका लाभ अधिक से अधिक लोग उठाएंगे। सरकार जो भी फैसला करती है बड़े ही सोच विचार कर करती है वही जब उनसे पूछा गया कि इंदौर में इस बार राजस्व वृद्धि का पंजीयन विभाग को क्या टारगेट दिया गया है। इस पर उन्होंने कहा कि पिछले साल 1276 करोड़ का लक्ष्य इंदौर को मिला था जिसके मुकाबले 1322 करोड़ का राजस्व इंदौर पंजीयन कार्यालय ने प्राप्त किया था वही अभी तक जुलाई माह के अंत तक लगभग 400 करोड रुपए की वसूली हो चुकी है जो पिछले साल से लगभग 207 करोड अधिक है।
गौरतलब हैं सरकार को लगभग 900 करोड़ का घाटा हो रहा था। लेकिन बावजूद इसके पिछले साल के मामले में वर्तमान में 35% रेवेन्यू में वृद्धि हुई है। अधिकांश कॉलोनाइजर किसी घबराहट में थे कि इस साल गाइडलाइन बढ़ जाएगी तो क्या होगा लेकिन गाइडलाइन नहीं बढ़ने से उन्हें भी काफी राहत मिली है।