31 मई तक अपराध नहीं हुआ था, आरोपी पक्ष के वकील बोले- शिक्षकों को बेवजह परेशान किया जा रहा
दमोह। दमोह के गंगा-जमुना स्कूल से जुड़े विवाद में बुधवार को दमोह कलेक्टर मयंक अग्रवाल, एसपी राकेश कुमार सिंह और कोतवाली टीआई विजय सिंह राजपूत कोर्ट में पेश हुए। न्यायालय ने आरोपी पक्ष के वकीलों की दलील पर इन अधिकारियों से पूछा है कि क्या 31 मई को उन्होंने ट्विटर पर स्कूल में किसी भी तरह की अनियमितताएं न पाने का पोस्ट किया था। जिस पर कलेक्टर एसपी ने हां कहा है। इस मामले में आरोपी पक्ष के वकीलों ने न्यायालय में जो दलीलें पेश की है वह इस प्रकार हैं।
गंगा-जमना स्कूल प्रबंधन से जुड़े मामले में आरोपी पक्ष की पैरवी कर रहे अधिवक्ता गजेंद्र चौबे ने बताया कि शुरूआत में एक शिकायत की गई थी, जिसमें छात्राओं को हिजाब पहनाने की बात सामने आई थी। इस मामले में कलेक्टर ने जांच कराई और उसके बाद एक ट्वीट किया, जिसमें स्कूल में किसी भी तरह की अनियमितताएं न होना पाया गया था। मैंने न्यायालय के सामने बात रखी कि 30 मई को जो रिपोर्ट पेश की गई थी उसमें किसी भी तरह की अनियमितता नहीं पाई गई थी। उसके बाद राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने जिला प्रशासन को गंगा जमना स्कूल प्रबंधन के ऊपर करने के लिए दबाव बनाया और उसके बाद एफआइआर कार्रवाई शुरू हो गई।
न्यायालय में कलेक्टर-एसपी ने कहा है कि हां बात बिल्कुल सही है। 31 मई तक स्कूल में किसी भी तरह का अपराध होना घटित नहीं पाया था। अधिवक्ता चौबे ने न्यायालय में दलील दी कि उसके बाद भी इन्वेस्टिगेशन शुरू की गई, जिसमें किसी की कोई शिकायत नहीं थी। पहली बार जो एफआइआर हुई है उसमें किसी का भी नाम नहीं है फिर भी शिक्षकों को पकड़ कर उन्हें परेशान किया गया है।
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताई हिजाब की परिभाषा-
अधिवक्ता गजेंद्र चौबे ने न्यायालय को बताया कि आईपीसी में हिजाब की कोई परिभाषा नहीं है। हम अपने चेहरे को ढ़कने के लिए जो कपड़ा बांधते हैं उसे हिजाब कहते हैं।
दमोह
गंगा-जमना मामले में कोर्ट में पेश हुए कलेक्टर-एसपी:बोले-
- 15 Jun 2023