Highlights

विविध क्षेत्र

गंभीर अपराधों के घटित होने के पूर्व निवारक उपायों और साधनों की आवश्यकता और महत्ता

  • 03 Sep 2021

जब सरकार ( रेल्वे विभाग ) पूरे भारत में समय समय पर ट्रेन रोक कर बिना टिकिट लिए यात्रा करने वालों धर - पकड़ करने के लिए पूरी ट्रेन को घेर कर टिकिट चैकिंग का अभियान चलाती है, तो पूरे देश को खतरे में डालने वाले ( संभावित देश द्रोहियों  ) के घरों और मोहल्ले के रहवासियों की तलाशी क्यों न ले ?
                  हमारे कानून में प्रावधान है कि चोरी , लूट और डाका डालने की योजना बनाने वालों को पुलिस गिरफ्त में ले लेती है। परिणामत अपराध घटित होने से पहले ही अपराधियों की नकेल कस दी जाती है।
                   गौर करने की सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात तो यह है कि पुलिस विभाग को इतना शक्तिशाली बनाने की जरूरत है कि वह यथा सम्भव अपराध गठित होने के पूर्व ही दुर्दांत अपराधियों की धर - पकड़ कर ले। इसके लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को अपने खुफिया एजेंसियों को अविलंब आधुनिक तकनीकी संसाधन उपलब्ध करवाए। खुफिया एजेंसियों में काम करने वाले हर स्तर के कर्मचारियों और अधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाए , उन्हें उनके वेतन के अतिरिक्त खुफिया एजेंसी में काम करने के लिए कम से कम २५ परसेंट अधिक वेतन दिया जाना चाहिए। यदि उनके द्वारा कोई उत्कृष्ट जानकारी उपलब्ध कराई जाती है तो उन्हें अतिरिक्त इंक्रीमेंट और आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने के प्रावधान किए जाने की भी जरूरत है।
                ब्रिटिश काल में पुलिस और जेल विभाग के अधिकारियों में एक तालमेल हुआ करता था। लेकिन कालांतर में अब वह पूर्णतः मृतप्राय हो चुका है। किस प्रकार के अपराधी प्रदेश की किन किन जेलों में रखे जाएं पर पुनः वास्तविकता के आधार पर विचार - विमर्श करके अविलंब बदलाव करना अपरिहार्य हो गया है।
आज की बदली हुई कानून व्यवस्था में पुलिस , न्यायालय और जेल विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है। वैसे तो ये तीनों सेवाओं स्वतंत्र रूप से कार्य करती हैं , लेकिन इन तीनों संस्थाओं में समाज के व्यापक हित में सामंजस्य का नितान्त अभाव है।  
  जेल विभाग राज्य का विषय है और राज्य सरकार को व्यापक अधिकार हैं। जेल मैनुअल में अनेक अत्यन्त उपयोगी और कारगर उपाय हैं और आज की बिगड़ती कानून व्यवस्था में भी यदि जेल विभाग और जेल मुख्यालय उन प्रावधानों को अमल में नहीं लाना चाहता है तो इसके सिर्फ़ दो कारण हो सकते हैं : -

( १ ) सरकार और जेल मुख्यालय के संज्ञान में आवश्यक प्रावधान नहीं हैं।

( २ ) और यदि प्रावधान जानकारी में हैं तो सरकार उनका सदुपयोग करना ही नहीं चाहती। 
          
  बहरहाल इस विषय में यह उल्लेख करना भी प्रासंगिक होगा कि राजनेताओं को वास्तविक स्थितियों से अवगत कराने का दायित्व अधिकारियों का होता है। और नियमों की परिधि में उसका समाधान बताना भी अधिकारियों का ही दायित्व होता है। राजनेताओं का दायित्व बनता है कि वे समस्याओं के निराकरण के लिए अधिकारियों को निर्देश दें। और यदि गंभीर समस्याओं के समाधान के लिए नियम न हों तो तत्काल प्रभावकारी नियम बनाएं जाएं। 
        यथा स्थिति बनाए रखना आरामदेह व्यवस्था हो सकती है लेकिन यथा स्थिति को तोड़ कर समाज में पूर्ण सुरक्षा प्रदान करना शासन का प्राथमिक दायित्व है और देशद्रोहियों में भय व्याप्त करना और उन्हें कठोर दंड देना समय की मांग भी है और आवश्यकता भी।
गंभीर अपराधों के घटित होने के पूर्व निवारक उपायों और साधनों की आवश्यकता और महत्ता।
G K Agrawal
Additional Inspector General of Prisons ( Retd.) Madhya Pradesh. Bhopal.