( जन्म: 22 अगस्त, 1919 - मृत्यु: 10 जनवरी, 1994)
एक कवि, नाटककार और समालोचक के रूप में जाने जाते हैं। लम्बे अरसे तक इन्होंने आकाशवाणी की सेवा की। इनकी कविता में रंग, रूप, रस, भाव तथा शिल्प के नए-नए प्रयोग हैं। मुख्य काव्य संग्रह हैं, 'नाश और निर्माण', 'मंजीर', 'धूप के धान', 'शिलापंख चमकीले, 'जो बंध नहीं सका', 'साक्षी रहे वर्तमान', 'भीतर नदी की यात्रा', 'मैं वक्त के हूँ सामने' तथा 'छाया मत छूना मन' आदि। इन्होंने कहानी, नाटक तथा आलोचनाएं भी लिखी हैं। गिरिजाकुमार माथुर की 'मैं वक़्त के हूँ सामने' नामक काव्य संग्रह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित है।
व्यक्तित्व विशेष
गिरिजाकुमार माथुर
- 10 Jan 2022