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DGR विशेष

ग्रामीण महिलाओं ने साबित कर दिया,कोशिश करनेवालों की हार नहीं होती

  • 28 Oct 2021

महिलाओं के पतियों ने माना की,लॉकडाऊन मे उनका घर पत्नियों ने चलाया और अगर ये ऐसे ही हमारे साथ है तो, हम बहुत आगे बढ़ जायेंगे
विनी आहुजा
इंदौर/चौरल। जब एक परिवार व समाज आत्मनिर्भर बनता है,तो उन्नति के रास्ते खुल जाते है।ऐसी ही एक दास्ताँ है इंदौर शहर से मात्र पैतीस किलोमीटर दूर स्थित चौरल गांव की,जहां की ग्रामीण महिलाओं ने लॉकडाऊन मे वो कर दिखाया जो हम सोच भी नही सकते।इन महिलाओं को सहारा दिया नागाचार्य चेरीटेबल ट्रस्ट ने और इन्हे आगे बढाने का छोटा सा प्रयास किया।
शहर हो या गांव लॉकडाऊन में हर किसी को कमाने परिवार को चलाने की चिंता थी,ऐसे वक़्त मे ग्रामीण क्षेत्र चौरल की महिलाओं ने अपने परिवार का खर्च चलाने का मोर्चा सम्भाला।और नागाचार्य चेरीटेबल ट्रस्ट की मदद से उनके द्वारा दिये गये लाईट सीरीज बनाने के काम को पूरी लगन और मेहनत से किया।शुरुआत मे कुछ महिलाओं ने काम सीखा,और फिर इन्ही महिलाओं ने गांव की दुसरी महिलाओं को काम सिखाया।चूँकि लॉकडाऊन मे कोई काम इनके पास नही था,परिवार के लोग वन विभाग में मजदूरी करते थे उसी पर निर्भर थे।इन महिलाओं ने पूरी लगन और मेहनत से  काम करना शुरु किया।धीरे धीरे हाथ जमने पर प्रतिदिन 20 से 25 सीरीज बनाने लगी,और जब उन सीरीजो को जलाकर देखती तो उन्ही आंखों की चमक देखने लायक होती।1994 से ट्रस्ट से जुड़ी रंजना पाठक बताती है,कि 30 से 35 परिवार जुड चुके हैं और बड़े पैमाने में  इस कार्य को कर रहे है।बटन, बल्ब वायर टोपी को जोड़कर ये झालर बनाई जाती है।एक सीरीज मे 45 बल्ब आते हैं,महिलायें दिल से मेहनत करती है,और उनकी मेहनत रंग लायी है जिसका परिणाम ये है कि अब महिलाये प्रतिदिन 400 रुपये कमा लेती है।और अब काम करने की इतनी स्पीड बढ़ गयी है कि 60 सीरीज दो दिन मे बना लेती हैं।
अब पूरा परिवार मिलकर काम करताहै,चौरल गांव के पुरुषों का कहना है कि उनके घर की महिलाओं ने ही पूरे लॉकडाउन मे परिवार का खर्चा चलाया है।पत्नियो के साथ देने से लगता है हम बहुत आगे बढ़ पायेंगे। यहाँ एक बात सामने आती है  ग्रामीण क्षेत्र की महिलाये किसी से कम नही,इनके काम करने से इनके घर के पुरूषों का आत्मविश्वास बढा है।अब मजदूरी के बाद खाली समय मे  घर के पुरुष सीरीज बनाने का कार्य करते है।लॉकडाउन ऐसा समय था जब पूरे देश मे लोगो का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था।ऐसे समय मे एक छोटे से गांव की महिलाओ ने ये कर दिखाया।
"अंधेरों को रोशन कर बनाया एक नया सफर,जीवन की इन कसौटियों से गुजर हम बनेंगे आत्मनिर्भर।