भोपाल। ठंड अब शुरू हो चुकी है, लेकिन कड़ाके की ठंड के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। ऐसा ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण हो रहा है। इसी कारण मौसम के पैटर्न में भी बदलाव आया है।
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो भले ही बारिश की विदाई देरी से हुई, लेकिन ठंड के दिन अब कम होते जा रहे हैं। इसका असर खेती पर सबसे ज्यादा पड़ रहा है। सर्दियों में भी तापमान में 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हुई है। गर्मियों की बात करें, तो औसत तापमान में 3 से 5 डिग्री की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, गर्मी के दिन भी बढ़ गए हैं।
यह बात भोपाल के इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) में गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में सामने आई। मध्यप्रदेश में हो रहे जलवायु परिवर्तन के बारे में मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर पंकज कुमार और डॉक्टर गौरव तिवारी ने विस्तार से बताया।
1970 के बाद से तेजी से तापमान में बढ़ोतरी
मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर पंकज कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव होना सामान्य है, लेकिन जलवायु में परिवर्तन होना ग्लोबल वॉर्मिंग का साफ संदेश है। यही चिंता की बात है। अभी तक सबसे ज्यादा गर्मी, सबसे ज्यादा बारिश और सबसे कम तापमान सामान्य तौर पर सामान्य के आसपास रहते थे, लेकिन 1970 के बाद इनमें तेजी से बढ़ोतरी हुई है। यह स्ट्रीम स्तर पर यह घटनाएं ज्यादा बढ़ गई हैं। उदाहरण के तौर पर पहले बादल फटने (एक घंटे में एक ही जगह पर 4 इंच बारिश) की घटनाएं साल में एक बार होती थीं। यह भी हिमालय के क्षेत्रों में होती थीं, लेकिन अब यह शहरी क्षेत्रों में ज्यादा बढ़ गई हैं। इतना ही नहीं एक मानसून सीजन में यह 3 से चार बार होने लगी हैं।
फैक्ट फाइल
कोल्ड डेज के दिन 50 से घटकर 35 दिन
गर्मी 4 महीने की जगह 6 महीने की हो गई
लू चलने का समय 4 घंटे से बढ़कर 6 घंटे हो गया
ठंड में औसत तापमान 4 से 6 डिग्री बढ़ा
मध्यप्रदेश में पहले अक्टूबर से ठंड शुरू हो जाती थी। अब यह घटकर दिसंबर और जनवरी में सिमटकर रह गई है। पहले चार महीने की मध्यप्रदेश का ठंड में औसत तापमान 8 डिग्री सेल्सियस तक रहता था, लेकिन अब यह 12 से 14 डिग्री सेल्सियस हो गया है। कोल्ड डेज भी 50 से घटकर 35 दिन रह गए हैं।
असर -इसके कारण रबी की प्रमुख फसल गेहूं, जौ, मटर, चना और सरसों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। अब इन फसल की बोवनी नवंबर में होने लगी है। इससे फसल चक्र पर आने वाले समय में ज्यादा प्रभाव पड़ेगा।
गर्मी के दिन 4 से अब 6 महीने हो गए
मध्यप्रदेश में पहले अप्रैल के बाद गर्मी होना शुरू होती थी, लेकिन बीते 30 साल से यह मार्च में ही शुरू होने लगी है। अब यह अगस्त तक खिंचने लगी है। चार महीने की गर्मी 6 महीने की हो गई है। पहले लू के दिन 30 से 40 दिन के होते थे। यह सामान्य तौर पर 2 बजे से 5-6 बजे तक चलती थी, लेकिन अब दोपहर 12 बजे से ही लू चलना शुरू होने लगी है।
122 साल में पहली बार मध्यप्रदेश सबसे ज्यादा तपा
असर यह हुआ के मध्यप्रदेश इस साल राजस्थान जैसा तपा। अप्रैल में गर्मी मई-जून जैसी हो गई थी। मौसम विभाग के 122 साल के रिकॉर्ड में अप्रैल 2022 का पहला हफ्ता सबसे गर्म रहा। दिन का पारा 44 डिग्री पार कर गया। देश के 10 सबसे गर्म जिलों में रूक्क के दो शहर तक आ गए थे। इस कारण 9 अप्रैल को दर्ज तापमान में देश के टॉप 10 गर्म शहरों में मध्यप्रदेश के राजगढ़ और दतिया रहे थे।। प्रदेश के बाकी के शहरों में भी दिन का पारा 42 से ऊपर रहा था। जलवायु परिवर्तन की एक्सट्रीम कंडीशन है। मौसम विभाग के इतिहास में साल 2016, 2017 और 2019 सबसे गर्म रहे थे। इस साल अप्रैल से ही यह रिकॉर्ड तोड़ गर्मी शुरू हो गई थी।
भोपाल
ग्लोबल वार्मिंग से 4 डिग्री तक बढ़ा टेंप्रेचर
- 02 Dec 2022