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गणेश जी की प्रतिमा के साथ अपमानजनक व्यवहार करने वाला निगम अधिकारी बहाल

  • 10 Nov 2021

दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों पर दर्ज करा दिए आपराधिक मुकदमे, विधायक शुक्ला ने कहा निगम में बड़ी मछली छोटी मछली को खा रही है 
इंदौर। कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला ने कहा है कि शहर के नागरिकों की श्रद्धा के साथ कुठाराघात करने वाले इंदौर नगर निगम के अधिकारी को निलंबन से बहाल कर दिया गया है। इसके साथ ही इस मामले में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज कराया गया था ।
शुक्ला ने कहा कि गणेश चतुर्थी पर घर-घर में विराजित भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं को विसर्जन के लिए परंपरा के अनुसार इंदौर नगर निगम के द्वारा लिया जाता है । नगर निगम के द्वारा हमेशा यह दावा किया जाता है कि वह अनंत चतुर्दशी के पश्चात इन प्रतिमाओं का विधिवत विसर्जन कर देगा । इस बार प्रतिमाओं के विसर्जन के दौरान नागरिकों की श्रद्धा की प्रतीक इन प्रतिमाओं के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया । प्रतिमाओं को उठाकर गंदे पानी के कुंड में फेंका गया । इस मामले के वीडियो जारी हो जाने के बाद नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल के द्वारा 21 सितंबर को एक आदेश जारी कर प्रतिमा विसर्जन कार्य के प्रभारी नगर निगम के कार्यक्रम अधिकारी शैलेश पाटोदी को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही पाटोदी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए । यह जांच शुरू भी नहीं हो सकी थी कि आयुक्त पाल के द्वारा एक आदेश जारी कर 1 महीने से भी कम समय में पाटोदी को बहाल कर दिया गया ।
शुक्ला ने कहा कि गणेश जी की प्रतिमाओं के साथ हुए अपमानजनक व्यवहार के मामले में नगर निगम के द्वारा स्वयं ही अपने कुछ मस्टर कर्मचारियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पुलिस थाने में दर्ज कराया गया । इसके साथ ही इन कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई । एक तरफ जहां मास्टर कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई कर दी गई तो वहीं दूसरी तरफ इस पूरी गड़बड़ी और लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारी को 1 महीने से भी कम समय में बहाल कर दिया गया । इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि नगर निगम में यह कहावत चरितार्थ हो रही है कि बड़ी मछली छोटी मछली को खा रही है । शुक्ला ने कहा कि नगर निगम आयुक्त के द्वारा लिया गया यह फैसला शहर के उन नागरिकों की भावना पर आघात है जिनके द्वारा स्थापित की गई प्रतिभाओं के साथ नगर निगम के कर्मचारियों ने गलत व्यवहार किया ।
शुक्ला ने कहा कि इस बारे में नगर निगम आयुक्त के द्वारा जारी किए गए आदेश में यह कहा गया है कि विभागीय जांच को समाप्त करते हुए शैलेश पाटोदी को निलंबन से बाहर किया जाता है और उन्हें पूर्व की तरह ही कार्यक्रम अधिकारी का प्रभार सौंपा जाता है। इतनी बड़ी लापरवाही के आरोपी अधिकारी के खिलाफ विभागीय जांच को शुरू होने के पहले ही समाप्त कर देना यह स्पष्ट करता है कि नगर निगम में कामकाज नहीं बल्कि गुटबाजी चरम पर है। निगम मे कानून का नहीं बल्कि मनमानी का राज चल रहा है । आयुक्त के द्वारा मनमाने तरीके से एक दोषी अधिकारी को दंडित करने के बजाय बहाल करते हुए संरक्षण दिया जा रहा है।